
Swami Vivekananda Jayanti
शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में सनातन धर्म पर बोल कर विश्व पटल पर सबको सम्मोहित करने वाले स्वामी विवेकानंद का राजस्थान से तगड़ा कनेक्शन था। राजस्थान के कई जिलों से उनका आत्मीय लगाव रहा। राजस्थान के एक राजा ने नरेंद्रनाथ कहें, सच्चिदानंद या फिर विविदिषानंद पुकारे को बदल कर उन्हें स्वामी विवेकानंद को यह नाम दिया था। यहीं नहीं उन्हें स्वामी विवेकानंद नाम के साथ पोशाक, पगड़ी, शिकागो यात्रा टिकट सब कुछ उस राजा ने दिया था। जानिए राजस्थान के किस राजा ने उनका नाम बदला था।
खेतड़ी के राजा अजित सिंह ने बदला नाम
राजस्थान के शेखावटी अंचल स्थित खेतड़ी के राजा अजित सिंह ने विविदिषानंद के बजाय विवेकानंद का नाम धारण करने का अनुरोध किया। जिसे स्वामी जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने से पहले स्वामी जी, राजा अजित सिंह के बुलावे पर 21 अप्रैल 1893 खेतड़ी पहुंचे थे। यह उनकी दूसरी खेतड़ी यात्रा थी। इससे पहले वे 7 अगस्त 1891 से लेकर 27 अक्टूबर 1891 तक खेतड़ी में रहे थे।
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जानें स्वामी विवेकानंद का राजस्थान कनेक्शन
स्वामी विवेकानंद झुंझुनूं जिले के खेतड़ी के अलावा वे अलवर, जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, माउन्ट आबू और जोधपुर भी आए थे। स्वामी ने अपने पत्रों में राजस्थान की प्रशंसा की। स्वामी विवेकानंद पर ग्रंथ लिखने वाले डॉ जुल्फीकार के अनुसार वे राजस्थान में सबसे पहले अलवर आए।
राजस्थान में कहां-कहां गए थे स्वामी विवेकानंद
अलवर : स्वामी विवेकानंद दिल्ली से दो बार अलवर गए। वर्ष 1891 व 1897 में अलवर में रुके। अलवर के तत्कालीन महाराजा मंगलसिंह से मूर्ति-पूजा पर चर्चा की।
जयपुर : स्वामी जी जयपुर तीन बार गए। वर्ष 1891, 1893 व 1897 में वे तीनों बार कुल 50 दिन जयपुर रुके।
किशनगढ़ - अजमेर : जयपुर से वे किशनगढ़ और अजमेर गए। वर्ष 1891 में वे 4 दिन रुके।
माउन्ट आबू - अजमेर से स्वामी जी माउन्ट आबू गए। वर्ष 1891 में 91 दिन तक स्वामी जी ने प्रवास किया था। 4 जून 1891 को माउन्ट आबू में उनकी मुलाकात खेतड़ी के तत्कालीन राजा अजीत सिंह से हुई।
खेतड़ी - माउन्ट आबू के बाद स्वामी जी खेतड़ी आए। वर्ष 1891, 1893 व 1897 में कुल 109 दिन यहां रुके। स्वामी विवेकानन्द नाम, पोशाक, पगड़ी व शिकागो यात्रा टिकट सब खेतड़ी राजा अजितसिंह की देन रही।
जोधपुर : स्वामी जी वर्ष 1897 में 10 दिन के लिए जोधपुर भी गए थे। वं जोधपुर के तत्कालीन राजा प्रतापसिंह के यहां अतिथि के रूप में रहे।
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Updated on:
04 Jul 2023 05:59 pm
Published on:
04 Jul 2023 05:52 pm
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