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आखिर कहां गए 7 हजार 98 विशेष बच्चे, जयपुर जिले के भी 248 बच्चे पोर्टल पर कम

यूडाईस और शाला दर्पण पर बच्चों की संख्या में बड़ा अंतर , विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का मामला

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

May 30, 2018

Incorrect Deta of U-DISE and Shalla Darpan

Incorrect Deta of U-DISE and Shalla Darpan

मोहित शर्मा/जयपुर.

विशेष आवश्यकता वाले प्रदेश के हजारों बच्चे आखिर गए तो कहां। इसे लेकर विभाग चिंतित है। शिक्षा विभाग के दो डेटा सोर्सेज में बच्चों की संख्या में बड़ा अंतर देखने को मिला है। अब विभाग इनमें से आखिर सही माने तो किसे मानें। इसको लेकर विभाग के अधिकारी चिंतित हैं। विभाग ने इस डेटा को सही कराने के लिए संस्था प्रधानों को 3 दिन का समय दिया है। ये मामला है विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (चिल्ड्रन विथ स्पेशल नीड्स)का। डाईस डाटा और शाला दर्पण पोर्टल पर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों में संख्या में बड़ा अंतर है। ये अंतर कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों का है। इसमें 4 हजार 69 छात्र और 3 हजार 29 छात्राएं कम बताई गई हैं।

डेटा सही नहीं हुआ तो होगी कार्रवाई
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद की राज्य परियोजना निदेशक शिवांगी स्वर्णकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों की संख्या में जो अंतर है उसे सही कराया जाए। परिषद ने संस्था प्रधानों को निर्देश दिए हैं कि U-DISE (यूनीफाईड डिस्ट्रीक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एज्यूकेशन) के डाटा 2017—18 के अनुसार ही शाला दर्पण पोर्टल पर विद्यार्थियों की संख्या को सही कराया जाए।

योजनाओं का लाभ मिलने में होगी परेशानी
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का डेटा सही नहीं होने से उन्हें मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। साथ ही छात्र शिक्षक अनुपात व अध्ययन सामग्री आदि का अनुपात भी गड़बड़ा जाएगा।

ऐसे हुई गड़बड़
यूडाईस के सर्वे के अनुसार सत्र 2017—18 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की संख्या प्रदेश में 12 हजार 111 बताई गई है, जबकि शाला दर्पण पोर्टल पर संस्था प्रधानों की ओर से यह संख्या सिर्फ 4 हजार 69 ही बताई गई है। ऐसे में 7 हजार 98 विशेष आवश्यकता वाले बच्चे प्रदेश में कम हो गए हैं।
जयपुर जिले की बात करें तो यूडाईस के अनुसार 974 विद्यार्थी विशेष आवश्यकता के हैं, वहीं शाला दर्पण के अनुसार 726 विद्यार्थी ही विशेष आवश्यकता वाले हैं। ऐसे में जयपुर जिले में ही 248 बच्चे कम हो गए। अब सवाल ये उठता है कि इन बच्चों को योजनाओं का लाभ आखिर मिलेगा तो कैसे।

सही होनी चाहिए विद्यार्थियों की संख्या
विशेष आवश्कता वाले विद्यार्थियों की संख्या में यूडाईस और शाला दर्पण पर बड़ा अंतर दिखाया गया है। इसे छात्रहित में जल्द से जल्द सही कराना चाहिए। जिससे विद्यार्थियों को योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके।
बाबूलाल मीणा, प्रदेशाध्यक्ष, प्रांतीय विशेष शिक्षा सेवा संघ