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Jaipur Discom: लाखों खर्च कर बनाया ऐप, इंजीनियरों का नहीं छूटा ऑफलाइन से मोह, जयपुर की चौंकाने वाली रिपोर्ट

शहर में तैनात 53 कनिष्ठ अभियंता ऐप से दूरी बनाए हुए हैं और ऑफलाइन साइट वैरिफिकेशन से जुड़े हैं। कनिष्ठ अभियंताओं के ऑफलाइन मोह के कारण साइट वैरिफिकेशन रिपोर्ट महीनों में तैयार हो रही है। ऐसे में उपभोक्ताओं को भी कनेक्शन, पोल शिटिंग के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

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जयपुर डिस्कॉम मुख्यालय जयपुर, पत्रिका फोटो

जयपुर डिस्कॉम मुख्यालय जयपुर, पत्रिका फोटो

जयपुर शहर में बिजली व्यवस्था की कमान 100 से ज्यादा कनिष्ठ अभियंता संभाल रहे हैं। प्रबंधन ने बिजली उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए लाखों रुपए खर्च कर साइट वैरिफिकेशन ऐप (मौका सत्यापन) भी तैयार करवाया। इससे बिजली कनेक्शन, पोल शिटिंग व अन्य बिजली संबंधी कार्यों के लिए साइट वैरिफिकेशन चंद मिनटों में ही हो सके। लेकिन शहर में तैनात 53 कनिष्ठ अभियंता ऐप से दूरी बनाए हुए हैं और ऑफलाइन साइट वैरिफिकेशन से जुड़े हैं। कनिष्ठ अभियंताओं के ऑफलाइन मोह के कारण साइट वैरिफिकेशन रिपोर्ट महीनों में तैयार हो रही है। ऐसे में उपभोक्ताओं को भी कनेक्शन, पोल शिटिंग के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

कहीं कुछ गलत तो नहीं

राजस्थान पत्रिका ने विद्युत भवन में सीनियर इंजीनियरों से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐप उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी है। ऐप का उपयोग अगर जेईएन नहीं कर रहे हैं तो इसका अर्थ है वे वित्तीय अनियमितता को बढ़ावा दे रहे हैं।

मौके से अपलोड एस्टिमेट

बिजली कनेक्शन, पोल शिटिंग मामलों में कनिष्ठ अभियंता साइट पर जाएगा और वैरिफिकेशन के बाद एस्टीमेट ऐप पर अपलोड करता है। एस्टीमेट मंजूरी के लिए सहायक अभियंता व उच्च अधिकारियों तक पहुंच जाता है। सहायक अभियंता के स्तर पर भी एस्टीमेट को तत्काल मंजूरी मिलती है।

जयपुर की रिपोर्ट सबसे खराब

ऐप यूज कर रहे कनिष्ठ अभियंताओं की जो रिपोर्ट सामने आई उसके मुताबिक जयपुर की स्थिति सबसे खराब पाई गई। सभी 18 सर्कल में 62 जेईएन ऐप से दूरी बनाए हुए हैं। इनमें से 53 जयपुर शहर में तैनात हैं। ऐप का उपयोग नहीं करने वाले जेईएन की रिपोर्ट अधिशासी अभियंताओं से मांगी लेकिन वे चुप्पी साध गए।