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Jaipur: जेडीए का झालाना से जगतपुरा तक एलिवेटेड रोड पर फोकस, जवाहर नगर में रोज लगता जाम

जेडीए की प्लानिंग खास लोगों को राहत पहुंचाने के लिए चल रही है। तभी तो बिना सोचे समझे अरण्य भवन से जगतपुरा तक एलिवेटेड रोड का प्लान बना लिया और 560 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत कर दिया। यदि मास्टरप्लान-2025 के अनुरूप झालाना बाइपास को विकसित किया जाए तो पैसे भी कम खर्च होंगे और लाखों लोगों की राह भी आसान हो जाएगी।

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झालाना- जगतपुरा बाइपास रोड पर रोजाना लगता जाम

Jhalana–Jagatpura Elevated road: जेडीए की प्लानिंग खास लोगों को राहत पहुंचाने के लिए चल रही है। तभी तो बिना सोचे समझे अरण्य भवन से जगतपुरा तक एलिवेटेड रोड का प्लान बना लिया और 560 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत कर दिया। यदि मास्टरप्लान-2025 के अनुरूप झालाना बाइपास को विकसित किया जाए तो पैसे भी कम खर्च होंगे और लाखों लोगों की राह भी आसान हो जाएगी। लेकिन मास्टरप्लान की प्रस्तावित सड़क में कई निर्माण हैं, जिनको सरकार और जेडीए को हटाने हैं। कई जगह तो स्थायी निर्माण तक हो चुके हैं।

राजस्थान पत्रिका टीम ने अरण्य भवन चौराहे से अपेक्स सर्कल तक जाकर देखा। दोनों ओर सड़क सीमा में अतिक्रमण मिले। सड़क को ही लोग गैराज की तरह उपयोग करते नजर आए। ये हाल तब है, जब जेडीए और ग्रेटर निगम आए दिन अस्थायी अतिक्रमण हटाते हैं। 2.5 किमी के सफर में राह के कई रोड़े खड़े हैं।

वैकल्पिक मार्ग के रूप में विकसित करना

जवाहर नगर बाइपास पर दिन भर वाहनों की रेलमपेल रहती है। कई बार बैठकों में चर्चा हो चुकी है कि इसको गोविंद मार्ग के समानांतर विकसित किया जाए। हालांकि, जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है। यदि यहां पर सड़क को चौड़ा किया जाए या फिर एलिवेटेड रोड बनाई जाए तो आने-जाने वालों को राहत मिलने की उम्मीद है।

याद है खासा कोठी पुलिया

खासा कोठी पुलिया जेडीए की सबसे बड़ी गलती है। राजनीतिक दखल से कैसे लोगों की राह मुश्किल हुई, यह खासा कोठी पुलिया के नीचे से गुजरने वाले लोग रोज देखते हैं। गलत दिशा में बनने के कारण 15 वर्ष बीत जाने के बाद अब तक उपयोग नहीं हो पाया है। इसे एमआइ रोड से कलक्ट्रेट की ओर बनाया जाता तो फायदा होता, लेकिन दिशा बदल देने से उचित उपयोग नहीं हो पाया।

ये हो सकता बेहतर विकल्प

अरण्य भवन से अपेक्स सर्कल तक (झालाना बाइपास) की सड़क मास्टरप्लान-2025 में 200 फीट की है। जबकि, मौके पर 80 से 100 फीट चौड़ाई है। इसमें भी कई जगह अतिक्रमण और अस्थायी कब्जे हैं। यदि पहले चरण में अस्थायी कब्जे हटाकर आदर्श सड़क के रूप में विकसित किया जाए तो 20 से 25 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसमें ड्रेनेज लाइन से लेकर फुटपाथ और डिवाइडर सहित अन्य सौंदर्यीकरण के काम हो जाएंगे।