
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल
Jaipur Literature Festival 2025 : वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे… के साथ सत्र की शुरुआत हुई। सत्र शुरू होने से पहले सभी ने आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर दो मिनट का मौन रखा। सत्र में प्रमोद कपूर, प्रज्ञा तिवारी और त्रिपुरदमन सिंह ने गांधी की आत्मकथा, लेख और पत्र के कुछ हिस्सों को पढ़ा। स्थान था जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में दरबार हॉल। जहां गांधी : द मैन एंड द महात्मा के सेशन में त्रिपुरदमन सिंह, प्रमोद कपूर, प्रज्ञा तिवारी ने गांधी को लेकर श्रोताओं संग चर्चा की।
प्रमोद तिवारी ने गांधी के आखिरी 24 घंटों पर बात की। गांधी की आत्मकथा के उनके जीवन के आखिरी 24 घंटों पर किताब का कुछ हिस्सा पढ़ा। गांधी ने अंतिम समय तक किसी भी प्रकार की सुरक्षा लेने से मना कर दिया था। गांधी जब चलते थे तो आमजन का सैलाब उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलता था।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि 30 जनवरी 1948 की शुरुआत एक आम दिन की तरह हुई। हमेशा की तरह गांधी साढ़े तीन बजे उठे, प्रार्थना की और दो घंटे काम किया। काम करने के दौरान वह आभा और मनु का तैयार किया हुआ नींबू और शहद का गरम पेय और मीठा नींबू पानी पीते रहे। रोज की तरह वो दिल्ली के मुस्लिम नेताओं से मिले। चार बजे वल्लभभाई पटेल अपनी पुत्री मनीबेन के साथ गांधी से मिलने पहुंचे। वहीं सवा चार बजे गोडसे और उनके साथियों ने कनॉट प्लेस के लिए एक तांगा किया। वहां से फिर उन्होंने दूसरा तांगा किया और बिरला हाउस से दो सौ गज पहले उतर गए। आखिरी मीटिंग सरदार वल्लभभाई पटेल से हुई। पटेल के साथ बातचीत के दौरान गांधी चरखा चलाते रहे थे। गांधी का आखिरी इंटरव्यू अमेरिकन फोटो जर्नलिस्ट ने लिया।
वहीं त्रिपुरदमन सिंह ने उपवास और शरीर पर गांधी के विचारों को लोगों के सामने रखा। गांधी ने आत्म अनुशासन को लोगों को सिखाया है। गांधी ने अपना एक विचारधार विकसित की है। आत्म अनुशासन पॉलिटिकल फ्रीडम के लिए जरूरी है। गांधी की जीवनशौली कार्यशील रही है। वह रोज सूर्य नमस्कार करते थे, लोगों ने उन्हें फॉलो भी किया है। लोग गांधी के शरीर को लेकर ऑब्सेस्ड थे। कई दिनों तक वो उपवास करते थे। लेकिन उनकी एनर्जी वैसी ही रहती थी।
आजादी के बाद जब दंगे नहीं रुक रहे थे तो गांधी ने उपवास का फैसला किया। उन्होंने 12 जनवरी 1948 को उपवास की घोषणा की। इस दिन प्रार्थना सभा में उनका एक लिखित संदेश पढ़ा गया। गांधी ने मौन धारण किया हुआ था। उन्होंने अपने संदेश में लिखा था, "कोई भी इंसान जो पवित्र है, वह अपनी जान से ज्यादा कीमती चीज कुर्बान नहीं कर सकता। मैं चाहता हूं कि मुझमें उपवास करने की पवित्रता बची हो। मेरा उपवास कल सुबह दोपहर के खाने के बाद शुरू होगा। उपवास तय समय के लिए नहीं है। मैं नमक या खट्टे नींबू के साथ या इन चीजों के बगैर पानी पीने की छूट रखूंगा। मेरा उपवास तभी खत्म होगा जब मुझे भरोसा हो जाएगा कि दोनों कौमों के बीच नफरत मिट चुकी है।
मजाज की लाइन 'हिन्दू चला गया न मुसलमां चला गया, इंसां की जुस्तुजू में इक इंसां चला गया' के साथ सत्र का समापन हुआ।
Updated on:
30 Jan 2025 06:09 pm
Published on:
30 Jan 2025 06:08 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
