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जयपुर की जनता के लिए खुशखबरी: रामबाग चौराहे पर लगा एयर प्यूरीफायर, 3 स्थानों पर और लगेंगे

Jaipur Air Purifier: जयपुर में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए नगर निगम ने सीएसआर फंड से रामबाग चौराहे पर एयर प्यूरीफायर लगाया। डेटा परीक्षण जारी है। सफल रहा तो अन्य व्यस्त चौराहों पर भी लगेंगे। शहर में AQI 200 पार पहुंच गया है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Nov 16, 2025

Jaipur Air Purifier

रामबाग चौराहा पर एयर प्यूरीफायर (फोटो- पत्रिका)

Jaipur Air Purifier: जयपुर शहर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रमुख चौराहों पर एयर प्यूरीफायर लगाए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत रामबाग चौराहा से हुई है। नगर निगम ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड के तहत यह एयर प्यूरीफायर लगाया है। शहर में जहां यातायात का अधिक दबाव रहता है, वहां ये लगाए जाएंगे।

प्रथम चरण के तहत रामबाग चौराहा स्थित फुटपाथ पर स्टैंड बनाकर इसे लगाया गया है। प्रदूषित तत्वों को यह कितना कम कर रहा है, इसका परीक्षण चल रहा है। डेटा के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी कि उस क्षेत्र में कितना प्रदूषण कम हुआ। अगर इससे प्रदूषण से राहत मिलेगी तो शहर में तीन अन्य यातायात दबाव वाले चौराहों पर भी इसे लगाया जाएगा।

सोशल मीडिया पर वायरल

नगर निगम ने एयर प्यूरीफायर के लिए रामबाग चौराहे का चयन इसलिए किया, क्योंकि यहां अत्यधिक वाहनों की आवाजाही होती है और लाल बत्ती होने पर ये वाहन यहां रुकते हैं। ऐसे में चौराहे पर वायु प्रदूषण अधिक रहता है। यह एयर प्यूरीफायर सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके कई फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं।

राजधानी में एक्यूआई पहुंच रहा 200 पार

सर्दी के साथ ही शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 200 को पार कर रहा है। जयपुर का औसत एक्यूआई भी 150 से 225 तक पहुंच रहा है। कुछ क्षेत्रों में यह एक्यूआई 250 को पार कर रहा है।

अजमेरी गेट : कोई सुध नहीं लेता

अजमेरी गेट पर यादगार के सामने तिराहे पर एक एयर प्यूरीफायर पहले से लगा है। इसे लेकर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का कहना है कि यह 4-5 साल से लगा है। अब इसकी कोई सुध नहीं लेता।

अभी जो डेटा एकत्र हो रहा है, वह कंपनी के पास ही जा रहा है। इसके लगने से कितना प्रदूषण कम हुआ, इस बारे में पूरा डेटा लेंगे। इसके बाद शहर में अन्य जगह इन्हें सीएसआर फंड के तहत लगवाएंगे।
-गौरव सैनी, आयुक्त, नगर निगम

जहां प्रदूषण के स्रोत उत्पन्न होते हैं, वहां उन्हें नियंत्रित करना होता है। प्रदूषक तत्व हवा में आने पर उसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है। अत: इन उपकरणों का सीमित प्रभाव होता है। ऐसे ही एयर प्यूरीफायर पहले भिवाड़ी में लगाए गए थे, जो पूरी तरह कारगर नहीं हुए थे।
-डॉ. विजय सिंघल, पूर्व मुख्य अभियंता, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल