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Jaipur: सिर्फ यादों में रहेगी झालाना की शान ‘जलेबी’… इतने लेपर्ड जंगल में अब रह गए शेष

झालाना जंगल की मशहूर और दूसरी सबसे उम्रदराज मादा लेपर्ड ‘जलेबी’ मंगलवार को हमेशा के लिए जंगल से विदा हो गई। कुछ दिनों से अस्वस्थ रहने पर उसे पिंजरे में विशेष निगरानी में रखा गया था।

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Jhalana Leopard Safari: जयपुर में झालाना जंगल की मशहूर और दूसरी सबसे उम्रदराज मादा लेपर्ड ‘जलेबी’ मंगलवार को हमेशा के लिए जंगल से विदा हो गई। कुछ दिनों से अस्वस्थ रहने पर उसे पिंजरे में विशेष निगरानी में रखा गया था। तीन दिन पहले इलाज के लिए उसे नाहरगढ़ जैविक उद्यान स्थित वेटरनरी अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में उसके एक कैनाइन दांत के टूटने का पता चला। दांत निकालने के बाद उसे वापस जंगल में लाकर निगरानी में रखा गया, लेकिन सोमवार देर रात उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट में मौत का कारण प्राकृतिक बताया गया। मेडिकल बोर्ड की मौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार किया गया। वन्यजीव प्रेमियों के अनुसार, झालाना में वर्तमान में 35 से अधिक लेपर्ड हैं और पिछले एक साल में 9 शावक देखे गए हैं।

इसलिए पड़ा जलेबी नाम

क्षेत्रीय वन अधिकारी जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि करीब 13 वर्षीय जलेबी, मादा लेपर्ड फ्लोरा की संतान थी। उसके शरीर पर जलेबी जैसी आकृति के निशान थे, जिनके कारण उसे यह नाम मिला था। वह झालाना की दूसरी सबसे उम्रदराज मादा लेपर्ड थी। उसने मादा लेपर्ड इमरती और बर्फी को जन्म दिया, जिन्होंने यहां की आबादी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। हाल ही जलेबी को 10 माह की मादा शावक के साथ देखा गया था। अब वनकर्मी उस शावक की तलाश में जुटे हैं और वाटरबॉडी के पास कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं।

35 से अधिक लेपर्ड मौजूद

वन्यजीव प्रेमियों के अनुसार, झालाना में वर्तमान में 35 से अधिक लेपर्ड हैं और पिछले एक साल में 9 शावक देखे गए हैं। शहर के आवासीय क्षेत्र में लेपर्ड की घुसपैठ की घटनाएं भी कई बार सामने आई हैं। हालांकि वन विभाग झालाना के जंगलों में वन्यजीवों के भोजन पानी के इंतजाम करता है बावजूद इसके जंगल को पार कर आवासीय इलाकों में वन्यजीवों की मौजूदगी दिखाई देती है। झालाना सफारी में पर्यटक लेपर्ड देखकर रोमांचित हो उठते हैं।