
मादा लेपर्ड शावक राधा सलाखों में कैद, पत्रिका फोटो
जयपुर.जिन्हें कभी मां का दुलार नहीं मिला, जिन्हें बचाने का दावा कर वन विभाग ने अपने संरक्षण में लिया था, वही रणवीर और राधा आज सिस्टम की बेरुखी के शिकार हैं। करीब दो साल से नाहरगढ़ जैविक उद्यान के पिंजरे में ये व्यस्क शावक कैदी की तरह घुट-घुटकर जिंदगी जी रहे हैं। जंगल के खुले आसमान और मिट्टी की महक से दूर, सलाखों की कैद में उनका बचपन और जवानी दोनों ही छिन गए हैं।
सितंबर 2022 में करौली जिले के बिसोरी गांव के जंगल से बिछड़ी मादा लेपर्ड शावक राधा को लाया गया था। उस वक्त उसकी उम्र महज 10-15 दिन और वजन मात्र 1200 ग्राम था। उसी तरह रणथम्भौर से बीमार हालत में रेस्क्यू किया गया था टाइगर शावक रणवीर। दोनों को वन विभाग ने दुलार कर पाला-पोसा और स्वस्थ बनाया, लेकिन जब ये व्यस्क हो चुके हैं तो इन्हें पिंजरे में कैद कर दिया गया। हैरानी की बात है कि न तो इन्हें जंगल सफारी में जगह दी गई और न ही उद्यान के डिस्प्ले एरिया में रखने की अनुमति मिली। विभागीय सुस्ती और सिस्टम की लापरवाही ने इनके बचपन और जवानी दोनों को सलाखों में कैद कर दिया है।
अकेलेपन और बंदिशों का असर अब उनके व्यवहार पर साफ दिखने लगा है। रणवीर और राधा दोनों आक्रामक हो रहे हैं। पिंजरे की कैद ने उनकी स्वाभाविक चंचलता और सहजता छीन ली है।
वन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) से अनुमति मांगी थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी कोई ठोस फैसला नहीं आया। स्वीकृति लंबित होने का बहाना बनाकर जिम्मेदारों ने दोनों व्यस्क शावकों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब जबकि रणवीर और राधा पूरी तरह व्यस्क हो चुके हैं, उन्हें प्राकृतिक माहौल से दूर रखना अन्याय है। रणवीर को टाइगर सफारी में और राधा को डिस्प्ले एरिया में स्थान देना चाहिए।
Published on:
25 Aug 2025 11:21 am
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