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बाइक मैराथन नहीं ये Jaipur का जाम है, जगह पहचानें… इसका जिम्मेदार आखिर कौन हैं…? देखें और तस्वीरें

Jaipur Traffic Jam:

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दूर-दूर तक सिर्फ हैलमेट ही नजर आ रहे, ये जाम यहां रोज लगता है, फोटो - पत्रिका

Jaipur News: राजधानी जयपुर का ट्रांसपोर्ट नगर इलाका इन दिनों भीषण यातायात जाम की समस्या से जूझ रहा है। जयपुर-आगरा रोड को जोड़ने वाले घाट की गूणी का संकरा रास्ता वाहनों के दबाव के कारण पूरी तरह से चरमरा गया है, जिससे लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में आधा घंटे से एक घंटे तक की देरी हो रही है। इस समस्या की जड़ ट्रांसपोर्ट नगर टनल पर दुपहिया वाहनों की आवाजाही पर लगा बार-बार का प्रतिबंध है, लेकिन सवाल यह है कि इस जानलेवा जाम का असली जिम्मेदार कौन है. खुद वाहन चालक या पुलिस-प्रशासन… ?

टनलः उद्घाटन के बाद से हुए कई हादसे

ट्रांसपोर्ट नगर टनल का निर्माण बड़े उद्देश्य के साथ किया गया था, लेकिन उद्घाटन के कुछ ही दिनों बाद एक बस ने बाइक सवार को कुचल दिया, जिसके बाद प्रशासन ने दुपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी। कुछ समय बाद यह रोक हल्की पड़ गई और दुपहिया गुजरने लगे, लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे हादसे कई बार हुए।

हाल ही में टनल में दो बाइक सवार युवकों को एक ट्रोले ने कुचल दिया, जिसमें दोनों की जान चली गई। हैरानी की बात यह है कि यह हादसा बाइक सवारों की कथित गलती के कारण हुआ था। जिसका सीसीटीवी भी सामने आया था।

इस दुर्घटना के बाद प्रशासन ने फिर से दुपहिया वाहनों को टनल से रोक दिया, जिसका सीधा असर घाट की गूणी के ट्रैफिक पर पड़ा है। टनल का विकल्प बना घाट की गूणी का रास्ता, जो पहले ही संकरा है, अब दुपहिया, कार और भारी वाहनों के अतिरिक्त दबाव से बुरी तरह से घिर गया है।

नियमों की अनदेखी और प्रशासनिक ढिलाई का पेंच

जाम की इस गंभीर स्थिति के लिए सिर्फ टनल बंद होना ही जिम्मेदार नहीं है। वाहन चालक स्वयं भी नियमों की पालना करने से लगातार दूरी बनाते हैं, जिससे जाम और भी ज्यादा एवं लंबे समय तक लगता है। एक तरफ जहां वाहन चालकों की लापरवाही हादसों की वजह बनती है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन हादसों के बाद कोई स्थाई समाधान निकालने के बजाय बार-बार टनल को बंद करने जैसे अस्थाई कदम उठाता है।

परिणामस्वरूप ऑफिस, स्कूल, कॉलेज या अन्य जरूरी कामों के लिए निकलने वाले हजारों लोगों को रोज घंटों जाम से जूझना पड़ता है। वाहनों के लंबे इंतजार के कारण फैलने वाला धुआं क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर को खतरनाक तरीके से बढ़ा रहा हैए जिसका लोगों के स्वास्थ पर सीधा और बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जयपुर की यह समस्या प्रशासनिक अस्पष्टता और नागरिक गैर-जिम्मेदारी का मिला-जुला उदाहरण बन गई है, जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है।