
जयपुर/ भोपाल।
लोकसभा चुनाव 2019 ( lok sabha chunav 2019 ) के लिए राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान 6 मई को होना है। लेकिन इस चरण से ठीक पहले अब प्रदेश में महिलाओं के घूंघट पर प्रतिबन्ध ( Ghunghat Ban ) लगाए जाने की मांग उठी है। गीतकार जावेद अख्तर ( Javed Akhtar ) ने कहा है कि देश में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार राजस्थान में 6 मई को होने वाले लोकसभा सीटों के लिए मतदान से पहले घूंघट प्रथा पर प्रतिबंध लगाए। जावेद अख्तर ने गुरुवार को भोपाल में मीडियाकर्मियों से बातचीत में ये प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि बुर्के पर प्रतिबंध लगने की बात हो रही है, तो पहले राजस्थान में घूंघट पर प्रतिबंध लगना चाहिए। बॉलीवुड फिल्मों में अनेक प्रसिद्ध गीत लिख चुके जावेद अख्तर ने सवालों के जवाब में कहा कि राजस्थान में भी लंबे घूंघट पहनने की प्रथा है। इस तरह के घूंघट पहनने की प्रथा पर पहले प्रतिबंध लगना चाहिए।
दरअसल पड़ोसी देश श्रीलंका में आतंकवादी हमले के बाद बुर्के पर प्रतिबंध लगने की खबरे सामने आई हैं। इसके बाद देश में कुछेक संगठनों ने बुर्के पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है। इसी संबंध में जावेद अख्तर से सवाल पूछा गया था। अख्तर ने कहा कि बुर्के पर प्रतिबंध के पहले राजस्थान में चुनाव के दौरान घूंघट पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने परोक्ष रूप से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि देश में आज एक ट्रेंड चल रहा है। यदि कोई व्यक्ति विचारधारा विशेष को नहीं मानता है, तो उसे राष्ट्रद्रोही बताने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने स्वयं को कांग्रेस से भी अलग बताया और कहा कि मौजूदा लोकसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं और यह देश की दिशा तय करेंगे। उन्होंने कहा कि यह देश विविधताओं वाला है और यहां पर एकता बनी रहनी चाहिए। देश का अस्तित्व सदैव रहेगा। नेता आते जाते रहेंगे।
... और इधर, बुर्का, घूंघट दोनों बंद किए जाने की मांग
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांता चावला ने मांग की कि बुर्का और घूंघट, दोनों प्रथाओं को बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि बुर्का और घूंघट दोनों ही महिलाओं के मानवीय अधिकारों को सरेआम छीनते हैं। उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि देश के महिला आयोग और मानव अधिकार आयोग के सरकारी, गैर सरकारी संगठन ने भी इस ओर कभी ध्यान नहीं दे रहे।
चावला ने कहा कि कितना अच्छा हो कि बुर्के और घूंघट की वकालत करने वाले पुरुषों को कुछ दिन बुर्के और घूंघट में रखा जाए और उस हालत में उन्हें मीलों तक सिर पर तीन तीन घड़े पानी के उठाकर चलने को कहा जाए। उन्होंने कहा कि एक आतंकवादी घटना होने के बाद श्रीलंका सरकार ने बुर्के पर पाबंदी लगा दी है और भी कुछ देशों में बुर्का तथा परदा प्रथा बंद की है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ क्षेत्र में ताजी घटना है जहां संघ के कार्यकर्ता चंद्रकांत को आतंकवादी ने बुर्का पहनकर ही गोली मारी है। आतंकवाद की घटनाओं को सरकार न भी याद रखे, तब भी महिलाओं को इस तरह बुर्के और घूंघट में बंद रखना सामाजिक और धार्मिक आतंकवाद है, जिसका शिकार महिलाएं हो रही हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि देश के सभी जागरूक नागरिक, समाजसेवी संस्थाएं और सभी धर्मों के धर्म गुरु इसके विरुद्ध आवाज उठाएं, पर यही बात यह है कि जब तक महिलाएं स्वयं नहीं इसका विरोध करतीं तब तक इसे बंद करना कठिन है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से प्रश्न किया कि जब वे देश के उच्च पदों पर बैठकर शासन करती रहीं तब उन्होंने अपनी साथी महिलाओं को इस यातना से क्यों मुक्त नहीं किया? उन्होंने इसीके साथ यह भी कहा कि देश की अनेकों हिन्दू और मुस्लिम महिलाएं भारत के उच्च पदों पर रहीं, आज भी हैं। देश और प्रदेशों की प्रथम महिलाएं भी बनीं, पर उन्होंने अपनी घूंघट और बुर्के में बंद बहनों के लिए क्यों कुछ नहीं किया?
Published on:
03 May 2019 12:04 pm
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