
राजस्थान के सीएम भजनलाल। फोटो पत्रिका
जयपुर। जल जीवन मिशन के 900 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार में जहां पूर्व मंत्री महेश जोशी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई, वहीं भजनलाल सरकार ने इस पूरे प्रकरण में लिप्त नौकरशाहों और अभियंताओं पर अब तक की सबसे बड़ी सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई की मंजूरी दे दी है।
महेश जोशी के जेल से बाहर आने के सिर्फ सात दिन बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एसीएस स्तर के अधिकारी सहित छह वरिष्ठ अधिकारियों पर शिकंजा कसने का आदेश जारी कर दिया। यह संकेत है कि सरकार अब इस घोटाले में 'राजनीतिक जिम्मेदारी' से आगे बढ़कर प्रशासनिक जवाबदेही तय करने के मूड में है।
सरकार ने निविदा मूल्यांकन, तकनीकी जांच और संविदा अनुमोदन से जुड़े उन अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुमति दी है, जिनकी भूमिका पर ईडी और एसीबी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। इन पर आरोप है कि नकली अनुभव प्रमाणपत्र, टेंडर दरों में हेराफेरी और पसंदीदा कंपनियों को लाभ पहुंचाया। जलदाय विभाग के तत्कालीन एसीएस, तत्कालीन मुख्य अभियंता अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, निविदा समितियों के तकनीकी सदस्य और सचिव स्तर का एक अधिकारी भी जांच के दायरे में बताए जा रहे हैं। जिनके खिलाफ अनुसंधान की अनुमति से अब कार्रवाई में तेजी आएगी।
सरकार ने जल जीवन मिशन मामले में अनुसंधान की अनुमति दे दी, लेकिन अभी इसके दायरे में आने वाले अधिकारियों के नामों का खुलासा नहीं किया है।
मुख्यमंत्री ने एक अन्य आइएएस अधिकारी के खिलाफ आइएएस नियम 8 (1969) के तहत औपचारिक जांच मंजूर की है। आरोप है कि इस अफसर ने राजकीय दायित्वों के निर्वहन में गड़बड़ी की।
मुख्यमंत्री ने राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम के नियम 34 के तहत पांच अधिकारियों द्वारा दायर की गई रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में पहले दिए गए दंड को यथावत रखने की मंजूरी दी गई है।
सीसीए नियम 16 के तहत दो सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ पेश जांच रिपोर्ट का अनुमोदन भी किया गया, जिससे अब इन सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकेगी।
भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17-ए के तहत जांच व अनुसंधान की मंजूरी दी गई। यह वही धारा है, जिससे भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकारियों को पहले सरकारी अनुमति का कवच मिलता है। अब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया
है, 'जिसने गड़बड़ी की है, वह किसी भी स्तर का क्यों न हो, जांच से नहीं बचेगा।
जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में करोड़ों रुपए की निविदाओं को लेकर दरों में गड़बड़ी, फर्जी कार्य अनुभव प्रमाण पत्रों से निविदाएं लेने जैसे मामले सामने आ चुके। इन मामलों के उजागर होने के बाद निविदाएं निरस्त की गईं, वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज कर जांच शुरू की। ईडी ने जलदाय विभाग के तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ की व जलदाय विभाग के तत्कालीन एसीएस कार्यालय का रेकार्ड जब्त किया। उधर जेजेएम की निविदाओं पर सीबीआइ पूछताछ कर चुकी है।
Updated on:
09 Dec 2025 07:51 am
Published on:
09 Dec 2025 07:50 am
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