
लक्खी अन्नकूट के लिए तैयार होता प्रसाद (फोटो-पत्रिका)
जयपुर। रोशनी से सराबोर मंदिर परिसर, श्रद्धालुओं का हुजूम। जय सियाराम, जय हनुमान, बजरंगबली की जय के गूंजते जयकारों के बीच रविवार को लक्ष्मण डूंगरी स्थित खोले के हनुमानजी मंदिर में श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा। मौका था 65वें लक्खी अन्नकूट महोत्सव का। जहां आस्था और सौहार्द की मिसाल ने फिर इतिहास दोहराया। मंदिर परिसर रोशनी से नहाया हुआ, हवा में फूलों की महक और हर ओर श्रद्धालुओं की अपार भीड़, मानो पूरा जयपुर पवनपुत्र के चरणों में नतमस्तक हो गया।
36 कौमों के लोग अन्नकूट में गरमा-गरम प्रसादी का लुत्फ उठाते नजर आए। पूरी प्रसादी में सिंगल यूज प्लास्टिक से परे रहकर पत्तल-दोने में प्रसादी वितरित की गई। लोगों को झूठा न छोड़ने और प्लास्टिक इस्तेमाल न करने की शपथ दिलाई गई। दिल्ली रोड पर दोनों ओर भक्तों की भीड़ नजर आई।
कार्यक्रम के दौरान सुबह से लेकर रात तक मैनेजमेंट व्यवस्था देखने लायक रही। मंदिर प्रबंधन ने व्यवस्था को लेकर आठ दिन पहले स्वयंसेवकों को जरूरी दिशानिर्देश समझाए, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। हर एक खंड में पुराने वरिष्ठ लोगों के साथ युवाओं की टीम नजर आई। बेहद शांतिपूर्ण तरीके से स्वयंसेवकों ने भीड़ को संभाला। दोपहर में तीन बजे से लेकर शाम सात बजे तक सबसे ज्यादा भीड़ नजर आई।
प्रसादी में लगभग 300 क्विंटल अन्न, 250 क्विंटल सब्जी, 350 टिन तेल, 400 घी के टिन, 60 क्विंटल बेसन, 40 क्विंटल चीनी, 300 किलो मावा, 13 क्विंटल बूरा काम में लिया गया। 31 भट्टियों पर 400 हलवाइयों ने अलग शिफ्ट में 16 घंटे काम किया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग, सुरक्षा और प्रसाद वितरण के लिए अलग-अलग व्यवस्था रखी गई है। भोजन लकड़ी की आंच पर बना।
800 क्विंटल मिठाइयां और स्नैक्स तैयार किए गए। करीब 800 क्विंटल छप्पन भोग तैयार हुआ, जिसमें 80 से 85 आइटम शामिल हुए।
मंदिर परिसर में जात-पात, धर्म और पद की सीमाएं मिट गई। अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी और आमजन सभी एक साथ- एक ही पंगत में बैठकर प्रसादी ग्रहण करते नजर आए। महामंत्री बीएम शर्मा ने बताया कि अन्नकूट के अलावा सूजी का हलवा और भुजिया का स्वाद लिया। वहीं बैंड बाजों की मधुर स्वर लहरियों के बीच हड्डीशाह बाबा की मजार पर भी अन्नकूट और छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाकर सर्वधर्म सौहार्द की मिसाल पेश की गई।
समिति के अध्यक्ष गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि सुबह हनुमान जी का अभिषेक कर चांदी की पोशाक धारण करवाने के साथ ही श्रृंगार किया गया। छप्पन भोग और फल सब्जियों की झांकी सजाई गई। शहर के प्रमुख मंदिरों के संत-महंतों ने पवनपुत्र की आरती की, अंत में सम्मान कार्यक्रम हुआ। स्वामी सुदर्शनाचार्य, पं.राजकुमार चतुर्वेदी सहित अन्य संत शामिल हुए। श्रीराम, हनुमानजी, अन्नपूर्णा, गायत्री और वैष्णो माता के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग की झांकियां सजीं।
Updated on:
09 Nov 2025 09:01 pm
Published on:
09 Nov 2025 08:47 pm
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