
एआई से बनाई गई तस्वीर..
घुटनों की समस्याओं को लेकर नी रिप्लेसमेंट सर्जरी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। आज से 15 साल पहले जहां लोग जोड़ प्रत्यारोपण से डरते थे, वहीं आज मामूली दर्द में भी कई लोग रिप्लेसमेंट कराने की जिद करने लगे हैं। हालात यह हो गए है कि पांच साल में राजस्थान में नी रिप्लेंसमेंट के मामले आठ गुना बढ़ गए है। यह आंकड़ा चौकानें वाला है। क्योंकि राजस्थान में नी रिप्लेसमेंट का आंकड़ा 2020 के कोविड काल में मात्र 3 हजार था। जो 2024 में बढ़कर 25 हजार तक पहुंच गया है। जॉइंट रिप्लेसमेंट एक्सपर्ट डॉ बी आर बगड़िया ने बताया कि अब 40 वर्ष से कम उम्र के लोग बड़ी संख्या में सर्जरी के लिए आ रहे हैं।
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डॉ बगड़िया ने बताया कि लाइफस्टाइल में गिरावट, व्यायाम की कमी, मोटापा, आर्थराइटिस और घुटनों की पुरानी चोट के कारण घुटने खराब हो रहे है। लेकिन लोगों को सर्जरी को अंतिम विकल्प मानना चाहिए, शुरुआती इलाज नहीं। कम से कम दो डॉक्टरों की राय के बाद ही निर्णय लेना चाहिए। सिर्फ एक्स-रे देखकर घुटना बदलवाने की जल्दी नहीं करनी चाहिए। सर्जरी कोई चमत्कार नहीं, एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो प्रोटोकॉल के आधार पर की जाती है।
राजस्थान में पांच साल के सर्जरी केस..
2020 — 3000
2021 — 7000
2022 — 15000
2023 — 19000
2024 — 25000
भारत में पांच साल के सर्जरी केस..
2020 — 1.80 लाख
2021 — 2 लाख
2022 — 3.60 लाख
2023 — 3.75 लाख
2024 — 4 लाख
भारत की बात करें तो पांच साल में चार गुना नी रिप्लेसमेंट के मामले बढ़े है। एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अनुराग धाकड़ ने बताया कि महाराष्ट्र व गुजरात में सबसे ज्यादा रिप्लेसमेंट होते है। इसके बाद तीसरे नंबर पर राजस्थान में नी रिप्लेसमेंट होते है। धाकड़ ने बताया कि जनवरी से मई 2025 के बीच एसएमएस में 200 से अधिक नी रिप्लेसमेंट किए गए हैं। मुख्यमंत्री आरोग्य आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में नी रिप्लेसमेंट नि:शुल्क किया जाता है। इसी कारण हरियाणा, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। बाहर से आए मरीजों के लिए सर्जरी सरकार द्वारा तय सस्ती दरों पर की जाती है। महंगे इलाज से बचने के लिए भी लोग राजस्थान आते है।
नी रिप्लेसमेंट के मुख्य कारण ..
घुटने की पुरानी चोट
रूमेटाइड अथवा ऑस्टियोआर्थराइटिस
कुपोषण एवं व्यायाम की कमी
आनुवांशिक कारण
सर्जरी के बाद सावधानी जरूरी…
डॉक्टरों के अनुसार नी रिप्लेसमेंट की सफलता दर 97% तक है। लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। आजकल यह 30 मिनट की प्रक्रिया बन चुकी है, जिसमें मरीज को केवल 3 दिन हॉस्पिटल में रहना पड़ता है। उचित फिजियोथेरेपी, फॉलोअप और एथिकल प्रैक्टिस से मरीज को 20-25 साल तक दर्द रहित जीवन मिल सकता है।
Published on:
17 Jun 2025 01:39 pm
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