
बादलों की ओट से निकला 'ब्लड मून'। फोटो - दिनेश डाबी
Lunar Eclipse : देश के ज्यादातर हिस्सों में रविवार रात पूर्ण चंद्रग्रहण का नजारा देखा गया। इस दौरान धीरे-धीरे पृथ्वी की छाया चांद पर बढ़ती गई और अंत में यह पूरी तरह ढक गया। इस दौरान चांद की रक्तिम आभा उभरी तो ब्लड मून का नजारा दिखा। इस दौरान लोग मोबाइल कैमरे से इसे कैद करते रहे। जयपुर में आसमां में रविवार देर रात खगोलीय घटना पूर्ण चन्द्रग्रहण के दौरान अदभुत नजारा देखने लायक रहा।
करीब रात 9:58 बजे चंद्रग्रहण शुरू होने के साथ ही चन्द्रमा कुछ देर बादलों की ओट में रहा। इसके बाद रात 10.20 बजे से चंद्रमा लाल-नारंगी रंग की रोशनी के साथ धीरे धीरे लालिमा के रूप में नजर आने लगा। चंद्रमा का आकार भी थोड़ा बड़ा नजर आया। मध्य रात्रि के करीब चन्द्रमा पूरी तरह से ब्लड मून के रूप में नजर आया। देर रात तक चन्द्रग्रहण को देखने का लोगों का उत्साह भी देखने लायक रहा।
बिड़ला तारामंडल के पूर्व सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि यह खगोलीय घटना तब होती है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच पूरी तरह से सीधी रेखा में आ जाती है, जिससे उसकी छाया पड़ती है और चंद्रमा एक चमकदार रक्त चंद्रमा में बदल जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा रविवार को जयपुर सहित पूरे देश- विदेशों में खग्रास चंद्रग्रहण के दौरान सूतककाल में ज्यादातर मंदिरों के कपाट बंद रहे। ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतककाल शुरू होने से शहर के प्रमुख गोविंददेव जी, खोल के हनुमान जी, काले हनुमान जी, गलताजी, अक्षरधाम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर, मोतीडूंगरी गणेश जी मंदिर में सूतक का असर नजर आया।
मोतीडूंगरी गणेश जी मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि मंदिर के कपाट बंद नहीं किए गए लेकिन एक पर्दा लगाया गया। ताकि ग्रहण की छाया नहीं आ सके। हालांकि पर्दें में से ही भक्तों ने दर्शन किए। अन्य मंदिरों के कपाट बंद रहे। मुख्य दरवाजे से ही भक्तों ने हाथ जोड़े।
गोविंददेव जी मंदिर में पूर्णिमा के मौके पर ठाकुर जी ने धवल पोशाक में दर्शन दिए। विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाया। विशेष व्यवस्थाओं के अंतर्गत श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी के दर्शन किए। विशेष दर्शन रात 9.50 बजे से लेकर 1.30 बजे तक खुले रहे। इस दौरान निरंतर हरिनाम संकीर्तन हुआ और श्रद्धालु भाव-विभोर होकर ठाकुर जी की आराधना में लीन रहे। इस दौरान परिक्रमा बंद रही। ग्रहण काल में श्रद्धालुओं की आवाजाही भी बंद रही। ग्रहण शुद्धि के बाद रात्रि 1.26 बजे पूरे मंदिर प्रांगण का गंगाजल मिले जल से प्रक्षालन किया गया। इसके बाद ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक कर श्रृंगार किया गया। राधादामोदरजी, गोपीनाथ, लाडली जी सहित अन्य मंदिरों में विशेष झांकी दर्शन हुए। इससे पहले सुबह गलता जी में भक्तों ने दान पुण्य कर आस्था की डुबकी लगाई।
Updated on:
08 Sept 2025 08:49 am
Published on:
08 Sept 2025 07:27 am
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