26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Mann Ki Baat : मन की बात में पीएम मोदी ने राजस्थान के इन किलों का किया जिक्र, जानें क्यों? जानिए इनके नाम

Mann Ki Baat : पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 124वें संस्करण में राजस्थान के ऐतिहासिक किलो का जिक्र किया। जानें ये कौन से किले हैं और किस वजह से इनका जिक्र किया गया।

4 min read
Google source verification
Mann Ki Baat PM Modi mentioned Rajasthan these forts know why and their names

पीएम नरेंद्र मोदी। ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Mann Ki Baat : 'मन की बात' का आज रविवार 27 जुलाई को 124वां संस्करण था। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान सहित देश के ऐतिहासिक किलो को भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि हमारे स्वाभिमान और संस्कृति की कहानियां हैं।

पीएम मोदी ने कहा, देश के किले आक्रमणों और मौसम की मार झेलकर भी अडिग रहे। राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, आमेर और जैसलमेर किले विश्व प्रसिद्ध हैं। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे इन किलो को देखें, उनके इतिहास को जानें और अपनी विरासत पर गर्व करें। ये किले न केवल भारत के गौरवशाली अतीत को दिखाते हैं, बल्कि स्वाभिमान और संस्कृति की कहानियां भी बयां करते हैं। पीएम ने कहा, "ये किले हमारी धरोहर हैं, जिनकी दीवारों से आज भी साहस और गर्व की गूंज सुनाई देती है।"

चित्तौड़गढ़ किला : ‘गढ़ तो चित्तौडगढ़ बाकी सब गढ़ैया

चित्तौड़ दुर्ग को लेकर एक कहावत प्रचलित है कि ‘गढ़ तो चित्तौडगढ़ बाकी सब गढ़ैया। विश्व विरासत में शुमार हमारे दुर्ग की ख्याति दुनियाभर में फैली हुई है। त्याग, तपस्या और शौर्य की भूमि कहे जाने वाले चित्तौड़ में बना दुर्ग हजारों वर्षों के इतिहास का साक्षी है। 700 एकड़ में फैले दुर्ग की चौड़ी दीवारें और नक्काशी स्थापत्य कला की बेजोड़ मिशाल है। विश्व धरोहर में शामिल दुर्ग का निर्माण अपने आप में अनूठा है। किले में विजय स्तंभ, नौलखा भंडार, मीरा मंदिर, कालिका माता मंदिर, गोमुख कुंड और कीर्ति स्तंभ जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हैं। राजस्थान की वीरांगना पद्मावती के जौहर के लिए भी यह किला विश्वविख्यात है। यह धरती से 180 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ की शिखा पर बना हुआ है। यह ऐतिहासिक दुर्ग सातवीं सदी में बनवाया गया था। चित्तौडगढ़ फोर्ट में प्रवेश के लिए सात द्वार है।

कुंभलगढ़ किला : "द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया"

राजसमंद जिले में बसा कुंभलगढ़ किला मेवाड़ की आन-बान-शान का प्रतीक रहा है। महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित इस किले के चारों ओर करीब 36 किमी लंबी दीवार बनी हुई है, जिसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है। यह कुंभलगढ़ किले को और भी खास बनाती है। यह न सिर्फ अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की दीवार और किले का इतिहास भी किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। ये दीवार ऐसे है जिस पर आठ घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। इस दीवार पर 24 बुर्ज बनी हुई है। इस किले की ऊंचाई 1,914 मीटर (6,280 फीट) है, जो इसे एक अद्वितीय बनाती है। इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1443 से 1458 ई. के बीच कराया था, और इस निर्माण में करीब 15 साल का समय लगा था।

रणथंभौर किला : ‘रणथंभौर रह्यो तो राज रह्यो’

राजस्थान की ऐतिहासिक कहावत ‘रणथंभौर रह्यो तो राज रह्यो’ आज के परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सटीक है। यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल रणथम्भौर का किला 10वीं शताब्दी में चौहान शासकों ने बनवाया था। यह बहुत ही खूबसूरत और विशाल किला है। यह किला दो पहाड़ियों पर बना है। यहां दुश्मन का पहुंच पाना मुश्किल था। सुरक्षा के लिहाज से किले में सात दरवाजे बनाए गए थे। किले के बुर्ज से दुश्मन सेना पर कई किमी तक नजर रखी जा सकती थी। किले कई तालाब और कई मंदिर बने हुए हैं। किले में सबसे खास है हम्मीर महल और राणा सांगा की रानी कर्मवती द्वारा शुरू की गई अधूरी छतरी।

आमेर किला : निर्माण 1558 में राजा मान सिंह प्रथम ने किया था शुरू

आमेर किले की स्थापना 967 ईस्वीं में राजस्थान के चंद्र वंस साम्राज्य के राजा एलान सिंह ने की थी। आमेर किले को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है। राजा मान सिंह प्रथम के द्वारा इस किले का निर्माण 1558 में शुरू किया गया था। आमेर किले के नामकरण की बात की जाए तो इसका नाम अम्बा माता से हुआ था, जिनको मीणाओं की देवी भी कहा जाता है।
इस किले का निर्माण सफेद व लाल संगमरमर के पत्थरों को मिलाकर किया गया है। आमेर के किले में एक शीश महल भी है ये महल अपने सुंदर नक्काशी के लिए जाना जाता है। आमेर किले और जयगढ़ किले के बीच लगभग दो किलोमीटर का गुप्त मार्ग भी बना हुआ है।

जैसलमेर किला : सोने की तरह चमकने वाला किला

भारत के सबसे बड़े किलों में से एक, जैसलमेर किला 1156 ईस्वी में राजा रावल जैसल द्वारा बनाया गया था। यह किला शहर से 76 मीटर ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है। जैसलमेर में जैसे ही सुबह सूरज की किरणें पड़ती हैं तो यह किला सोने की तरह चमकने लगता है। जैसलमेर का किला 250 फीट तिकोनाकार पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी की लंबाई 150 फीट और चौड़ाई 750 फीट है। सोनार किला यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज सूची में शामिल है। 13वीं शताब्दी में इस किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने हमला किया और 9 वर्ष तक किले पर कब्जा रखा। दूसरा हमला मुगल सम्राट हुमायूं ने 1541 में किया था। किले पर 1762 तक मुगलों का कब्जा रहा। इसके बाद महारावल मूलराज ने किले पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद मूलराज और अंग्रेजों के बीच संधि हो गई और उसका कब्जा किले पर बना रहा।