12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Megh Utsav: धुनों की जुगलबंदी ने बिखेरा जादू तो भरतनाट्यम ने बांधा समां, दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

Modern Fusion: जवाहर कला केंद्र में दो दिवसीय मेघ उत्सव का हुआ रंगारंग आगाज़, रविवार शाम को विश्वविख्यात लोक गायक मूरलाला मारवाड़ा देंगे प्रस्तुति।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rajesh Dixit

Aug 02, 2025

जवाहर कला केंद्र में दो दिवसीय मेघ उत्सव का हुआ रंगारंग आगाज़। फोटो-पत्रिका

जवाहर कला केंद्र में दो दिवसीय मेघ उत्सव का हुआ रंगारंग आगाज़। फोटो-पत्रिका

Jaipur Cultural Events: जयपुर। राजधानी जयपुर की सांस्कृतिक फिज़ा शनिवार की शाम सुरों, तालों और नृत्य की मोहक प्रस्तुतियों से सराबोर हो उठी। जवाहर कला केंद्र में डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय मेघ उत्सव की रंगारंग शुरुआत ने श्रोताओं व दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अदनान ग्रुप की प्रस्तुति से हुआ, जिसमें सितार, वायलिन और तबले की जुगलबंदी ने श्रोताओं को संगीत के एक नए अनुभव से जोड़ा। अदनान खान और उनके साथी कलाकारों ने राग मेघ और राग मल्हार जैसे मानसूनी रागों को फ्यूजन शैली में प्रस्तुत किया। शास्त्रीय परंपरा की गहराई और आधुनिक ध्वनियों की ऊर्जावान गति का यह संयोजन ऐसा प्रभाव उत्पन्न कर गया कि दर्शकों की तालियों ने सभागार की गूंज को स्वर लहरियों में बदल दिया। खास बात यह रही कि अदनान ग्रुप ने अपने वादन में लोक धुनों और राग आधारित प्रयोगों का ऐसा सम्मिलन किया जिसने युवा श्रोताओं को भी जोड़कर रखा।

नारी के सशक्त स्वरुप पर पर आधारित नृत्य नाटिका

प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना कनक सुधाकर और उनकी नृत्यशिक्षित टीम ने "त्रिदेवी" प्रस्तुति द्वारा भूमि देवी, पार्वती देवी तथा लक्ष्मी देवी के चित्रण द्वारा नारी के सशक्त स्वरुप पर पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। भरतनाट्यम की पारंपरिक मुद्राओं, नयनाभिराम अभिनय और सौम्य गतियों के माध्यम से उन्होंने देवी के नव रूप की प्रतीकात्मकता, नायिका की शक्ति, और स्त्री के सौंदर्य को अत्यंत सजीव रूप में मंच पर उतार दिया। रस, भाव, ताल और नृत्य की शुद्धता ने दर्शकों को एक आध्यात्मिक अनुभूति करवाई, जिसे सभी ने खड़े होकर सराहा।

यह मंच परंपरा और आधुनिकता के संगम

"मेघ उत्सव केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानसून की रचनात्मकता, सौंदर्य और सांस्कृतिक चेतना को लोक व शास्त्रीय कलाओं के माध्यम से जीवंत करने का प्रयास है। यह मंच परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बन रहा है।"

आज ये होंगे कार्यक्रम

रविवार, 3 अगस्त को समापन अवसर पर विश्वविख्यात लोक गायक मूरलालामारवाड़ा की कबीर व सूफी गायन प्रस्तुति होगी, जिसमें उनके स्वरों के माध्यम से आत्मिक गहराई, दर्शन की ऊंचाई और संगीत की माधुर्यता का संगम श्रोताओं को एक अनूठी अनुभूति प्रदान करेगा।