
शहर के निचले इलाकों में देर रात तक पानी भरा रहा। ऐसे में राहगीरों व स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
जयपुर। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून केरल से देश के दूसरे हिस्सों में दाखिल हाे गया है। इस साल दक्षिणी-पश्चिमी मानसून लगभग एक सप्ताह की देरी से भारत पहुंचा है।
माैसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 48 घंटों में यानी मंगलवार तक पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां बन रही हैं।
केरल में मानसून के 1 जून से आने के आसार थे, लेकिन उसने एक सप्ताह की देरी के साथ शनिवार को केरल तट पर दस्तक दी, जिसके बाद केरल के तमाम इलाकों में अच्छी बारिश शुरू हो गई है।
राजस्थान कब आएगा monsoon
राजस्थान में सामान्य समय 15 जून से 1 जुलाई के बीच में मानसून आने की परिस्थितियां बन रही हैं। प्रदेश में मानसून का काफी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। लोगों को पेयजल को लेकर भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अल-नीनो का प्रभाव-
जून में बारिश पर अल-नीनो का प्रभाव पड़ सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि अल-नीनो का संबंध प्रशांत महासागर के पानी के गर्म होने से जुड़ा है और इसका मानसून पर असर पड़ता है। मानसून में देरी का सीजन में होने वाली बारिश के बीच कोई सह-संबंध नहीं है।
जब लगातार 3 साल लेट आया मानसून -
वैसे मानसून में देरी का सीजन में कुल हुई बारिश से कोई संबंध नहीं है। यह जरूरी नहीं कि मानसून के दस्तक देने में देरी से सीजन में बारिश भी कम होगी। 2014, 2015, 2016 में मानसून लेट आया था, लेकिन इस दौरान बारिश सामान्य ही रही थी। हालांकि, मानसून के आने में हुई देरी से देश के दूसरे हिस्सों में भी वह लेट पहुंचेगा।
वर्ष----------मानसून आया----------बारिश
2014---------5 जून-----------88 प्रतिशत
2015---------6 जून-----------86 प्रतिशत
2016---------8 जून-----------97 प्रतिशत
2017---------30 मई-----------95 प्रतिशत
2018---------29 मई-----------91 प्रतिशत
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Updated on:
09 Jun 2019 03:03 pm
Published on:
09 Jun 2019 03:00 pm
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