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31 तोपों की हवाई गर्जना और स्पेशल आतिशबाजी के साथ गोविंद देवजी मंदिर में मनेगी जन्माष्टमी, सिर्फ इन कपड़ों में ही मिलेगा प्रवेश

Rajasthan: यह दुर्लभ योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय भी बना था। इसके अलावा सूर्य और बुध के कर्क राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा।

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फोटो: पत्रिका

Janmashtami Dhruva Yoga: जन्माष्टमी (16 अगस्त) के नजदीक आते ही जयपुर के कृष्ण मंदिरों सहित घरों में कान्हा के स्वागत की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। गोविंददेवजी मंदिर, राधादामोदर जी और गोपीनाथजी सहित अन्य प्रमुख मंदिरों में बधाई गान की शुरुआत के साथ ही रंग-बिरंगी झालरों व रोशनी से सजावट की जा रही है। इस्कॉन व कृष्ण बलराम मंदिर सहित अन्य मंदिरों में विदेशी फूलों से भगवान का श्रृंगार किया जाएगा।

15 को छावण में भक्तों का प्रवेश बंद

गोविंद देवजी मंदिर में जन्माष्टमी पर्व पर श्रद्धालुओं को सिर्फ भारतीय परिधान में प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने हृदय रोगी, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज और सांस की तकलीफ वाले रोगियों से जन्माष्टमी के दिन मंदिर नहीं आने की अपील की है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और दर्शन व्यवस्था तय की है। इसके तहत 15 अगस्त को मंदिर छावण क्षेत्र में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद रहेगा।

इस दौरान श्रद्धालु तय गेट और रूट से ही मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। 16 अगस्त की रात 10 से 11 बजे तक जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ गोविंद मिश्र करेंगे। रात 12 बजे ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक होगा। 31 तोपों की हवाई गर्जना और विशेष आतिशबाजी की जाएगी। अभिषेक के लिए 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा और 11 किलो शहद सेवा में अर्पित किया जाएगा। तीन हजार कार्यकर्ता व 150 स्काउट मंगला झांकी से लेकर अभिषेक समाप्त होने तक सेवा में लगे रहेंगे। दर्शनों के लिए लगभग 13 एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी।

दर्शनों और प्रवेश की यह रहेगी व्यवस्था

जलेब चौक से आने वाले श्रद्धालु मुख्य द्वार , गेट नंबर एक से प्रवेश करेंगे। यहां से परिसर में बनी लाइन से होते हुए दर्शन कर रैंप पर पहुंचेंगे। इसके बाद घूमकर गेट नंबर दो से बाहर निकलेंगे। ब्रह्मपुरी/कंचन नगर से आने वाले श्रद्धालु गेट नंबर सात से प्रवेश करेंगे। यहां से नीचे बनी लाइन से होते हुए रैंप पर दर्शन करेंगे और घूमकर गेट नंबर छह से बाहर निकलेंगे।

जयपुर के ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक तीन साल बाद वृद्धि योग, ध्रुव योग और कृतिका नक्षत्र जैसे विशेष संयोग में पर्व मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन चंद्रमा उच्च राशि वृषभ में रहेगा। यह दुर्लभ योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय भी बना था। इसके अलावा सूर्य और बुध के कर्क राशि में होने से बुधादित्य योग बनेगा।

इस अवधि में व्रत करने का विशेष फल मिलेगा। हालांकि इस बार कृष्ण जन्म के द्वापर युग जैसा संयोग रोहिणी नक्षत्र व मध्यरात्रि में अष्टमी नहीं रहेगी। सूर्य और चंद्रमा का संयोग ही मिलेगा। हालांकि, इससे एक दिन पूर्व 15 अगस्त को स्मार्त धर्मावलंबी जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। वहीं, 16 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय के धर्मावलंबी पर्व मनाएंगे। दोनों ही दिन रोहिणी का नक्षत्र नहीं रहेगा।

जन्माष्टमी पर्व पर वृद्धि, ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य जैसे छह शुभ योगों का विशेष संयोग रहेगा। इन योग को धन, सुख, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:50 बजे से 16 अगस्त की रात 9:35 तक रहेगी। इसके सूर्योदय व्यापिनी होेने के चलते जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी।

पं.पुरुषोत्तम गौड़, ज्योतिषाचार्य(जयपुर)

शनिवार को शनि, राहु और केतु वक्री अवस्था में अलग-अलग राशियों में विराजमान रहेंगे। वहीं ग्रहों के राजकुमार बुध मार्गी अवस्था में रहेंगे। ग्रहों का यह संयोग कई राशियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

पं.चंद्रमोहन दाधीच, ज्योतिषाचार्य(जयपुर)