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साइबर ठगों का नया जाल: नामी ब्रांड्स की डीलरशिप के नाम पर लाखों की ठगी, राजस्थान पुलिस ने जारी की चेतावनी

Franchise Fraud: राशि जमा होते ही साइबर ठग अपने फोन नंबर या ईमेल पर जवाब देना बंद कर देते हैं। तब पीडि़तों को ठगी का एहसास होता है

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Nov 11, 2025

Photo: Patrika Network

Photo: Patrika Network

Dealership Scam: जयपुर. देशभर में साइबर अपराधियों का एक नया जाल फैल रहा है। वे अब बड़े और भरोसेमंद व्यापारिक ब्रांड्स की डीलरशिप या फ्रैंचाइजी दिलाने के लालच में लोगों को फंसाकर लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं। आकर्षक ऑफर दिखाकर रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी डिपॉजिट और एनओसी शुल्क के नाम पर पैसे ऐंठने वाले ये ठग मोबाइल कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया के जरिए संपर्क करते हैं और जल्दबाजी का दबाव बनाकर शिकार को फंसाते हैं। जैसे ही पैसे ट्रांसफर होते हैं, वे गायब हो जाते हैं, तक पीडि़तों को ठगी का अहसास होता है।

ठग तुरंत कार्रवाई के लिए करते हैं मजबूर

राजस्थान पुलिस ने इस खतरे के प्रति आमजन को सतर्क करते हुए एक विस्तृत चेतावनी जारी की है। पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार शर्मा के निर्देश पर साइबर क्राइम शाखा के अतिरिक्त महानिदेशक वी.के. सिंह के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान के तहत यह अलर्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया गया। उपमहानिरीक्षक साइबर क्राइम विकास शर्मा ने बताया कि अपराधी खुद को संबंधित कंपनी का उच्च अधिकारी बताते हैं और सीमित अवसरों का हवाला देकर तुरंत कार्रवाई के लिए मजबूर करते हैं। पैसे जमा होते ही संपर्क तोड़ देते हैं।
राजस्थान पुलिस का यह अभियान साइबर अपराधों के खिलाफ जनजागरूकता बढ़ाने का हिस्सा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी ठगियां तेजी से फैल रही हैं, इसलिए सतर्क रहना ही सबसे बड़ा हथियार है। अगर आपके साथ ऐसा कुछ हुआ है, तो देर न करें-तुरंत कार्रवाई करें।

राजस्थान में भी मिला मामला

झुंझुनू में आधार फ्रैंंचाइजी ठगी का मामला (जनवरी 2025) में सामने आया। झुंझुनू कोतवाली पुलिस ने ऑनलाइन ठगी के एक गैंग के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया, जो आधार कार्ड बनाने की फैं्रचाइजी (खासकर राजस्थान से बाहर के लोगों को) दिलाने के झांसे में लोगों को लूट रहे थे।

ठगों की चालाकी का तरीका

संपर्क का माध्यम: मोबाइल कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया के जरिए संपर्क।
लालच: आकर्षक स्कीम और जल्दी कमाई का वादा।
दबाव: डीलरशिप सीमित होने का बहाना देकर तुरंत निर्णय लेने का दबाव।
पैसे ऐंठना: रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी डिपॉजिट या एनओसी शुल्क के नाम पर बैंक खाते में ट्रांसफर की मांग।
गायब होना: पैसे मिलते ही फोन/ईमेल बंद।

ठगी से बचाव के उपाय: राजस्थान पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए ये सुरक्षा टिप्स दिए हैं।

  • डीलरशिप या फैंचाइजी की जानकारी हमेशा ब्रांड की आधिकारिक वेबसाइट से लें, सोशल मीडिया विज्ञापनों पर भरोसा न करें।
  • कॉल करने वाले के नाम, पद और कर्मचारी आईडी की पुष्टि कंपनी की वेबसाइट से करें।
  • केवल आधिकारिक डोमेन वाले ईमेल पर विश्वास करें।
  • पैसे देने से पहले कंपनी के आधिकारिक कार्यालय जाकर प्रक्रिया और दस्तावेजों की जांच करें।
  • धनराशि कंपनी के नाम वाले चालू खाते में ही भेजें, व्यक्तिगत बचत खाते में कभी नहीं।
  • अगर ऑफर अविश्वसनीय रूप से आकर्षक लगे, तो इसे ठगी समझें।

ठगी का शिकार हो गए तो तुरंत करें ये काम

डीआईजी विकास शर्मा ने कहा कि अगर आप फंस जाते हैं, तो तुरंत बैंक को सूचना दें जिससे ट्रांजेक्शन रोका जा सके। निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें। भारत सरकार के साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत करें। साइबर हेल्पलाइन 1930 या हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 और 9257510100 पर कॉल करें।