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जयपुर के पास से गुजर रहा मौत का हाईवे ! साढ़े चार साल में 352 सड़क हादसे, 267 लोगों की हुई मौत, आखिर कौन है जिम्मेदार ?

जयपुर के पास एनएच-148 मौत का हाइवे बनता जा रहा है। इस हाइवे पर बीते साढ़े चार साल में 352 हादसों में 267 लोगों की जान चली गई। वहीं घायलों की संख्या भी बड़ी है।

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NH-148

प्रतीकात्मक तस्वीर- पत्रिका

जयपुर। राजधानी के नजदीक एक ऐसा हाईवे है, जहां रोजाना सड़क हादसे जिंदगियां लील रहे हैं। एनएच-148 पर हुई दुर्घटनाओं ने कई परिवारों को खत्म कर दिया। किसी घर का चिराग बुझ गया तो किसी का सहारा छिन गया। हर हादसे के बाद प्रशासन चिंता जताता है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।

पिछले साढ़े चार साल में यहां 352 सड़क दुर्घटनाओं में 267 लोगों की मौत हो गई और 359 लोग घायल हुए। लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए गए। दो लेन की जगह चार लेन हाईवे बनाने की डीपीआर जरूर तैयार हुई है, परंतु काम की रफ्तार कछुआ चाल से भी धीमी है। सुरक्षा इंतजाम के अभाव में यह सवाल उठता है कि आगे और कितने लोगों की बलि चढ़ेगी।

जयपुर ग्रामीण में सबसे ज्यादा मौतें

मनोहरपुर-दौसा एनएच-148 पर जयपुर ग्रामीण के आंधी, रायसर और मनोहरपुर थाना क्षेत्रों में साढ़े चार साल में 167 लोगों की मौत हुई। दौसा जिले के सैंथल और सदर थाना क्षेत्रों में इसी अवधि में 100 लोग मारे गए।

रायसर और सैंथल क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित

रायसर थाना क्षेत्र में ही 97 लोग सड़क हादसों में काल का ग्रास बने। इस वर्ष अगस्त तक यहां 30 लोगों की जान जा चुकी है। दौसा जिले के सैंथल थाना क्षेत्र में 72 मौतें हुईं और इस वर्ष अब तक 22 जानें जा चुकी हैं।

हादसों के पीछे ये कारण

  • तेज रफ्तार, खतरनाक घुमाव
  • रोड इंजीनियरिंग की खामियां
  • हाईवे पर चेतावनी बोर्ड और संकेतक की कमी
  • केवल दो लेन का हाईवे और डिवाइडर का अभाव
  • रफ्तार पर लगाम के लिए इंटरसेप्टर वाहनों की कमी

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