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जयपुर। NHM Rajasthan Recruitment 2019 - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में कम्यूनिटी हैल्थ वर्कर के 2500 पदों पर भर्ती राजनीतिक दखलअंदाजी का शिकार हो गई है। दरअसल, यह भर्ती केन्द्र सरकार की गाइडलाइन और राज्य की अनुमति से ही निकाली गई थी।
इसी साल मई माह की शुरूआत में ही केन्द्र की ओर से सभी राज्यों को गाइडलाइन भेजकर इस भर्ती को 30 जून तक पूरी करने के निर्देश दिए थे। इस अवधि तक यह भर्ती पूरी नहीं होने पर संबंधित राज्य की कुल NHM पीआईपी का 20 प्रतिशत पेनल्टी लगाने का प्रावधान उस गाइडलाइन में किया गया था।
प्रदेश की कुल एनएचएम पीआईपी इस समय करीब 3000 करोड़ रुपए है। अब भर्ती रद्द होने से राजस्थान को करीब 600 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय माना जा रहा है। इतना ही नहीं, भर्ती समय पर पूरी होने पर संबंधित राज्य को कुल पीआईपी का 20 प्रतिशत यानि 600 करोड़ का इनसेंटिव भी मिलना था। प्रदेश को अब इसका तो नुकसान होगा ही, साथ ही प्रदेश के बेरोजगारों को भी अब इतने पदों की भर्ती से वंचित रहना पड़ेगा।
पड़ताल में सामने आया कि प्रदेश एनएचएम ने केन्द्र की गाइडलाइन मिलने के बाद पूर्व की राज्य प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए 16 मई को सार्वजनिक सूचना कर इस भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इसकी सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी। गौरतलब है कि इस भर्ती में पूरा विवादा सामने आने के बाद दो दिन पहले ही यह भर्ती रद्द कर दी गई थी। उसके बाद विभाग के कार्मिक अशोक भंडारी को भी निलंबित कर दिया गया था।
16 मई को जारी हुई थी आधिकारिक सूचना
उक्त भर्ती परीक्षा को 16 मई को ही विभाग ने आधिकारिक सूचना जारी कर रदद कर दिया था। करीब डेढ महीने पहले इस भर्ती की प्रक्रिया को शुरू करने की सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी।
कार्यकारी समिति की बैठक में लगी थी मुहर
जानकारों के मुताबिक 26 अप्रेल 2019 को एनएचएम की एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक हुई थी। उसमे एनएचएम की पीआईपी का अनुमोदन किया गया था। इसमे चिकित्सा विभाग के चार आईएएस अतिरिक्त मुख्य सचिव, एनएचएम के मिशन निदेशक, अतिरिक्त मिशन निदेशक और संयुक्तसचिव मौजूद थे। पीआईपी में इस भर्ती के 2600 से अधिक पदों के लिए करीब 15 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे।
एनएचएम की स्वतंत्रता बनी विवाद का कारण
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन स्वतंत्र संस्था के तौर पर काम करती है। इसकी पीआईपी मंजूर होने के बाद इसकी दैनिक फाइलें मंत्री तक आमतौर पर नहीं जाती। दरअसल, यही विवाद का बड़ा कारण बना हुआ है।
मंत्री ने कहा...कोई अधिकारी नहीं है सरकार से उपर
उधर, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ( Rajasthan Health Minister raghu sharma )ने शनिवार को कहा कि कोई भी अधिकारी सरकार से उपर नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस भर्ती की जानकारी नहीं दी गई। शर्मा ने एसीएस को उक्त मामले सहित पिछले पांच सालों के दौरान एनएचएम के तहत करवाई गई भर्तियों की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
जल्दबाजी भी बनी चर्चा का विषय
सवाईमानसिंह अस्पताल के लाइफ लाइन स्टोर में अनियमितताओं की शिकायतों की उच्च स्तरीय जांच में अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ सुनीत सिंह रानावत और लाइफ लाइन के एमओआईसी रहे डॉ प्रभात सराफ का नाम सामने आने के बाद अब तक मंत्री उन पर कार्यवाही नहीं कर पाए हैं। जबकि उक्त मामले में शिकायत के आधार पर ही निलंबित करने का निर्णय ले लिया गया। विभाग में इस मामले में इतनी जल्दबाजी भी चर्चा का कारण बनी है।
इस आधार पर भर्ती ही करवा दी रद्द
पडताल में यह भी सामने आया कि कुछ विधायक मंत्री के सामने इस भर्ती की शिकायत लेकर पहुंचे थे। मामला एसीएस तक पहुंचा और शिकायतों की पूरी जांच करने से पहले ही भर्ती को रद्द कर निलंबन की कार्यवाही कर दी गई।
भर्ती के लिए पूरी अनुमति व प्रक्रिया की गई
एनएचएम की यह भर्ती पूरी प्रक्रिया व सक्षम स्तर पर अनुमति के बाद की गई थी।
-समित शर्मा, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
जांच होगी तो मैं निर्दोष निकलूंगा
बिना जांच के ही मुझेनिलंबित कर दिया गया। मामले की जांच करवा ली जाए, मैं पूरी तरह निर्दोष हूं।
-अशोक भंडारी, निलंबित कर्मचारी
Updated on:
23 Jun 2019 10:30 am
Published on:
23 Jun 2019 10:19 am
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