नीतीश सरकार ने जारी किया था पत्र मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतीश सराकर की ओर से एक पत्र जारी किया गया था। इस पत्र में अवर सचिव राधा नंदन प्रसाद ने 40 लाख रुपए आवंटित किए थे, जो पटना के डीएम को दिए गए थे। बताया जा रहा है कि इन पैसों का खर्च रैली में आने वाले भीड़ के प्रबंधन, विधि व्यवस्था और सुविधाओं के लिए किया जाना था।
मोदी को कोसा, नीतीश की हुई तारीफ इस रैली में सबसे बड़ी बात यह रही कि जहां एक ओर मुस्लिम नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोस रहे थे। वहीं जेडीयू और नीतीश कुमार का गुणागन गाया जा रहा था। इतना ही नहीं दीन बचाओ देश बचाओ के कन्वेनर खालिद अनवर को नीतीश कुमार ने पहले ही एमएलसी के तोहफे से नवाज दिया था।
कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे थे जेडीयू के नेता बताया जा रहा है कि जेडीयू से जुड़े लोग इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक किए हुए थे। जेडीयू नेताओं ने रैली के लिए जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर भी लगाए थे, जिसके तहत मुसलमानों से लाखों की तादाद में गांधी मैदान में पहुंचने की अपील की गई थी। दरअसल, बिहार में जेडीयू और भाजपा के गठबंधन से मुस्लिम नेता नाराज चल रहे हैं।
परिणाम यह हो रहा है कि मुस्लिम में जेडीयू का जनाधार घटता जा रहा है और मुस्लिम राजेडी का दामन थामने लगे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि इस रैली का मकसद था मुस्लिम को एक बार फिर जेडीयू के पक्ष में करना। यहां आपको बता दें कि इमारत ए शरिया के अध्यक्ष अनीसुर रहमान कासमी का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद ही राजनीतिक था।