
पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। केंद्र सरकार ने धार्मिक आस्था का मुद्दा गरमाने के बाद समुद्री शैवाल अर्क व पशु प्रोटीन आधारित 11 जैव उत्तेजकों पर यू-टर्न लिया। धान, खीरा, टमाटर, मिर्च व सोयाबीन में समुद्री शैवाल अर्क और टमाटर-आलू में पशु प्रोटीन आधारित जैव उत्तेजकों की अनुमति को वापस ले लिया।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इसके बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें पादप आधारित जैव उत्तेजकों को अलग कर दिया। केन्द्र सरकार की ओर से अगस्त में जारी अधिसूचना में धान, टमाटर, आलू, खीरा व मिर्च आदि की खेती में गोवंश की खाल व समुद्री कॉड की त्वचा आदि पर आधारित जैव उत्तेजकों के प्रयोग की भी अनुमति दी थी, जिसको लेकर हाल ही कुछ संगठनों ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय पहुंचकर विरोध जताया। इनमें मध्यप्रदेश के कुछ संगठनों की प्रमुख भूमिका रही।
कृषि मंत्रालय ने फसलों की उपज व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समुद्री शैवाल अर्क व पशु प्रोटीन आधारित उत्तेजकों का स्प्रे के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी थी। मंत्रालय ने इन उत्पादों को नियामक ढांचे के अंतर्गत लाने के प्रयासों के तहत यह कदम उठाया था।
जैव-उत्तेजक एक ऐसा पदार्थ या सूक्ष्मजीव, या दोनों का संयोजन होता है, जो पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध करवाकर उनकी बढ़त, उपज व गुणवत्ता में सुधार लाता है।
जैव उत्तेजकों के रूप में गोवंश की खाल से प्राप्त प्रोटीन हाइड्रोलाइजेट को टमाटर और समुद्री कॉड की त्वचा, हड्डियों व स्कल्स से प्राप्त प्रोटीन हाइड्रोलाइजेट को आलू की फसल के लिए उपयोग की अनुमति दी जा रही थी। धार्मिक आस्था का मामला सामने आने के बाद केन्द्र सरकार ने इनके साथ ही कुछ फसलों में समुद्री शैवाल अर्क व अन्य के जैव उत्तेजक के रूप में उपयोग की अनुमति को वापस ले लिया।
Published on:
04 Oct 2025 07:46 am
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