
जयपुर की फैक्टरी में लेपर्ड। फोटो: पत्रिका
जयपुर। शिकार की तलाश में गुरुवार शाम करीब सवा चार बजे एक मादा लेपर्ड टोंक रोड स्थित एनबीसी फैक्टरी में घुस गई। अचानक लेपर्ड को देख वहां मौजूद स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों ने तुरंत दरवाजे-खिड़कियां बंद कर खुद को सुरक्षित कर लिया और वन विभाग को सूचना दी। करीब 20 मिनट बाद झालाना जंगल से रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची।
टीम ने जैसे ही उसे पकड़ने की कोशिश की, लेपर्ड घने पेड़-पौधों और घास के बीच ओझल हो गई। अंधेरा हो जाने के कारण रेस्क्यू नहीं किया जा सका। एसीएफ देवेन्द्र राठौर, रेंजर जितेंद्रसिंह, डॉक्टर अशोक तंवर, वनकर्मी कृष्ण कुमार और वन विभाग की पूरी टीम ने रातभर सर्च अभियान जारी रखा। लेकिन, टीम अभी तक लेपर्ड का रेस्क्यू नहीं कर पाई है।
कंपनी के कर्मचारी विक्की सैनी ने सबसे पहले लेपर्ड को देखा। उन्होंने बताया कि जैसे ही नजर उस पर पड़ी, रोंगटे खड़े हो गए। वह तुरंत अंदर भागे और बाकी स्टाफ को जानकारी दी। पहले तो किसी को यकीन नहीं हुआ, लेकिन बाहर आकर सबने लेपर्ड देखा तो दहशत फैल गई।
फैक्टरी के अकाउंटेंट पंकज ने बताया कि सातों गेट और खिड़कियां बंद कर दी गईं। उस समय फैक्टरी में करीब 100 कर्मचारी मौजूद थे। रात की शिफ्ट में भी 20 कर्मचारी रहते हैं, जो अब भी भय के साए में हैं। स्टाफ का कहना है कि जब तक लेपर्ड पकड़ी नहीं जाती, तब तक दहशत का माहौल बना रहेगा।
एनबीसी फैक्टरी घनी आबादी वाले इलाके में स्थित है। इसके पास जयपुरिया क्रिकेट अकादमी, रिहायशी कॉलोनियां और टोंक रोड का व्यस्त इलाका है। ऐसे में लेपर्ड का यहां तक पहुंचना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
वन अधिकारियों को आशंका है कि यह पूजा नाम की छह वर्षीय मादा लेपर्ड है। पूजा लंबे समय से कुलिश स्मृति वन, ओटीएस और एमएनआइटी क्षेत्र में देखी जाती रही है। कई बार उसे पकड़ने के लिए पिंजरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए, लेकिन वह चकमा देकर निकल गई। पिछले साल उसके एक शावक को पिंजरे में पकड़ा गया था। हाल ही उसे ओटीएस और एमएनआइआइटी परिसर में अपने दो शावकों के साथ घूमते देखा गया। जेएलएन मार्ग पर भी कई बार उसकी मौजूदगी दर्ज हो चुकी है।
वन विभाग का अनुमान है कि यह लेपर्ड स्मृति वन से जेएलएन मार्ग होते हुए सरस प्लांट के पीछे और नाले के रास्ते से फैक्टरी तक पहुंची। एनबीसी फैक्टरी करीब 28 बीघा क्षेत्र में फैली है और यहां हरियाली व झाड़ियों की भरमार है। इससे पहले भी यहां से नीलगाय और सांप का रेस्क्यू किया जा चुका है।
Published on:
22 Aug 2025 07:46 am
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