
Jaipur cleanup boosts (Patrika Photo)
जयपुर: स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणाम ने यह साबित कर दिया कि यदि नगर आयुत को पर्याप्त समय, संसाधन और स्वतंत्रता मिले तो शहर की तस्वीर बदली जा सकती है। अहमदाबाद और भोपाल में तो पिछले वर्ष भी बेहतर काम हुआ, लेकिन लखनऊ ने टॉप-3 में जगह बनाई।
इसके लिए लखनऊ नगर निगम आयुत इंद्रजीत सिंह पिछले तीन वर्ष से प्रयास कर रहे थे। लखनऊ की 44वें से तीसरे स्थान पर छलांग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
जयपुर हैरिटेज निगम की ओर से सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। कचरा फेंकने वालों के चालान किए जा रहे हैं। ग्रेटर निगम सीमा क्षेत्र में 80 लाख रुपए से कैमरे लगाएगा। राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी है।
राजधानी जयपुर में आयुक्त लंबे समय तक रुके ही नहीं। इसका असर परिणामों में भी देखने को मिला। मौजूदा परिणामों की बात करें तो ग्रेटर निगम 16वें स्थान पर रहा। इस दौरान आयुक्त पद पर रुकमणी रियाड़ 17 माह रहीं। इसका फायदा निगम को मिला।
वहीं, हैरिटेज निगम में आयुक्त अभिषेक सुराणा ने करीब 10 माह के कार्यकाल में सर्वेक्षण को गति दी। फिर अरुण कुमार हसीजा ने इसको बरकरार रखा। हैरिटेज को 20 वां स्थान मिला।
अहमदाबाद-6-1-एम. थेनारासु
भोपाल-5-2-हरेंद्र नारायण यादव
लखनऊ-44-3-इंद्रजीत सिंह
आयुक्त रहते हुए एम. थेनारासु ने सफाई व्यवस्था को दो शिफ्ट में बांटा। 12,500 सफाई कर्मचारी, 600 से अधिक हूपर को व्यवस्थित किया। घर-घर कचरा संग्रहण को मजबूत किया। अभियान से नागरिकों को जोड़ा। वार्ड स्तर पर समूह बैठकें करवाईं। समितियों का गठन और स्वच्छता संवाद कार्यक्रम करवाए।
आयुक्त हरेंद्र नारायण ने निगम सीमा क्षेत्र को 21 जोन में बांटा। इन जोन की निगरानी के लिए छह अपर आयुक्तों को जिम्मेदारी दी। सुबह सात से नौ बजे निरीक्षण अनिवार्य किया। सफाई व्यवस्था में लापरवाही बरतने वालों पर सख्ती की गई। अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों को भी नोटिस दिए गए।
इंद्रजीत सिंह ने आयुक्त रहते हुए वर्षों से जमा कचरे के पहाड़ को खत्म किया। स्वच्छ भारत मिशन की गाइडलाइन की सख्ती से पालना करवाई। उन्होंने लखनऊ की स्वच्छता उपलब्धि का श्रेय पूरी टीम को दिया, जिससे कार्य संस्कृति में सकारात्मक बदलाव आया।
Published on:
22 Aug 2025 10:20 am
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