राजस्थान की लाड़ो यशश्री ने मोदी से पूछा कि मैं पहली बार बोर्ड परीक्षा देने जा रही हूं। हम बच्चों का मूड अक्सर ऑफ हो जाता है। हम खुद को परिश्रम के लिए कैसे प्रेरित करें?
इस पर मोदी ने कहा कि नौजवानों का मूड ऑफ नहीं होना चाहिए। हालांकि इसके लिए बाहर की परिस्थितियां जिम्मेदार होती हैं। उदाहरण के लिए यदि आपने छह बजे मां से चाय देने के लिए कहा है तो बार-बार घड़ी देखेंगे और उनके देरी से आने पर तूफान खड़ा कर देंगे। यह नहीं सोचेंगे कि मां को क्या तकलीफ हुई होगी। यदि आप यह सोचने लग जाएं तो मूड ऑफ नहीं होगा। मन का मैनेजमेंट जरूरी है। मोदी ने चंद्रयान मिशन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने मुझे वहां जाने से मना किया था, मैं वहां गया। रात होते होते सभी वैज्ञानिकों के चेहरे उतरने लगे। विफलता की खबर मिलने के बाद मैं सुबह वैज्ञानिकों से मिला। मैंने उनके परिश्रम की जितनी सराहना की जा सकती थी, की। देखा कि सिर्फ वैज्ञानिकों का नहीं, पूरे हिंदुस्तान का माहौल बदल गया। मोदी ने कहा कि हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं।
कराई गई तैयारी
पत्रिका से बातचीत में छात्रा ने कहा कि उक्त कार्यक्रम के लिए स्कूल में प्रतियोगिता के जरिए चयन हुआ था। दो दिन पहले दिल्ली में रिहर्सल हुई। जिसमें सवाल पूछने का तरीका आदि देखा गया।
बनना है इंजीनियर
आपको क्या पसंद है? के सवाल पर यशश्री ने बताया कि उन्हें पढ़ाई बेहद पसंद है। यशश्री आइआइटी से इंजीनियरिंग कर देश का नाम रोशन करना चाहती है। उनके पिता मनीष प्रजापत की इलेक्ट्रिकल एप्लायंस की शॉप है। मां कंचन निजी स्कूल में अध्यापिका हैं।