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न जनता जागरूक, न दुकानदार, मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं

Patrika Campaign : सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन को लेकर न जनता जागरूक है और न ही दुकानदार। नतीजा बाजार हो या सब्जी मंडी, लोग खुले में पॉलीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर रहे है।

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न जनता जागरूक, न दुकानदार, मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं

न जनता जागरूक, न दुकानदार, मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं

जयपुर। सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन को लेकर न जनता जागरूक है और न ही दुकानदार। नतीजा बाजार हो या सब्जी मंडी, लोग खुले में पॉलीथिन व सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर रहे है। शहरी सरकार ने पॉलीथिन पर पाबंदी को लेकर कितनी जिम्मेदारी निभाई है, तीन बड़ी स ब्जी मंडियों में ही इसकी सच्चाई सामने आ गई। यहां रोजाना 400 किलो से अधिक पॉलीथिन काम में ली जा रही है। सब्जी बेचने वाले ही नहीं, किसान भी पॉलीथिन में ही सब्जियां लेकर आ रहे है। पॉलीथिन पर पांबदी नहीं लगने के कारणों को टटोला तो दुकानदार हो या ग्राहक एक—दूसरे पर पल्ला झाड़ते नजर आए।

जानकारों की मानें तो राजधानी में तीन बड़ी सब्जी मंडिया है, इनमें 700 से 800 दुकानें है। जहां रोजाना 300 से 400 किलो पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। मुहाना मंडी से बससे अधिक दुकानें है तो वहां सबसे अधिक पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। दूसरे नंबर पर जनता बाजार गौण मंडी है, जहां सबसे अधिक पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। इन दोनो मंडियों में 250 से 300 किलो पॉलीथिन का उपयोग रोजाना हो रहा है। वहीं लालकोठी सब्जी मंडी में रोजाना 100 से अधिक पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है।

अक्टूबर से मार्च तक अधिक पॉलीथिन उपयोग
सब्जी विक्रेताओं की मानें तो मंडियों में सब्जी के सीजन में अधिक पॉलीथिन काम में आती है। सब्जी का सीजन अक्टूबर से मार्च तक अधिक रहता है। इस दौरान आसपास के गांवों से बड़ी तादाद में सब्जियां आती है।

किसान भी अव्वल, पॉलीथिन ने ली कपड़े की गांठ जगह
पहले सब्जियां कपड़े की गांठ में आती थी, लेकिन अब राजधानी के आसपास के किसान 20 किलो पैकिंग की थैलियों में स ब्जी लेकर आ रहे है। शहर की तीनों सब्जी मंडियों में जो सब्जी आ रही है, उसमें से 90 फीसदी सब्जी पॉलीथिन में आ रही हैै।

क्या कहते है सब्जी विक्रेता
राष्ट्रीय फल एवं सब्जी खुदरा व्यापार संघ इंटक के सचिव दिनेश अग्रवाल का कहना है कि पॉलीथिन रखना मजबूरी है। ग्राहक सब्जी लेने के लिए थैला लेकर नहीं आता है, हमने सब्जी मंडी में दो जनों को थैला बेचने के लिए लगा रखा है, उनसे भी कोई थैला नहीं खरीदता है। अगर कोई थैली नहीं रखे तो लोग उससे सब्जी नहीं खरीदते हैं।
फल सब्जी विक्रेता व्यापार संघ सीटू के सचिव राजू पंजाबी का कहना है कि पॉलीथिन बैन तभी हो सकती है, जब पॉलीथिन सब्जी या सामान देने वाले और पॉलीथिन में सब्जी—सामान लेने वालेे दोनों पर ही जुर्माना लगे। ग्राहक पॉलीथिन मांगना बंद कर तो दुकानदार पॉलीथिन रखना ही बंद कर दे। पॉलीथिन की फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
सब्जी विक्रेता अनोखी देवी करती है पॉलीथिन की वजह से हम भी परेशान है। पॉलीथिन बंद हो जाए तो सबको फायदा है, गौ माता मर रही है। पॉलीथिन आगे से आ रही है, इसलिए हम दे रहे है। आगे से ही बंद हो जाए तो हम भी देना बंद कर दे। चैक करने भी कोई नहीं आता है।

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क्या कहते हैं व्यापारी
फोर्टी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अरुण अग्रवाल का कहना है कि जब तक ग्राहक सजग नहीं होगा, तब तक पॉलीथिन पर बैन नहीं लग सकता है। जब बाजार में डिमांड आती है तो व्यापारी को मजबूरी में पॉलीथिन रखनी पड़ रही है। पॉलीथिन रोकने के लिए घर—घर अभियान चलाया जाए, तभी इस पर रोक संभव है। व्यापार व उद्योग जगत पॉलीथिन बैन के हर प्रयास के साथ खड़ा है।
जयपुर व्यापार महासंघ उपाध्यक्ष सुरेश सैनी का कहना है कि पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है, हम इसका विरोध करते है। व्यापारी भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं करें और ग्राहक भी पॉलीथिन का उपयोग करने से बचे, दोनों के सजग रहने पर ही पॉलीथिन पर पाबंदी लग सकती है।
व्यापारी माधवदास का कहना है कि जब तक दुकानदार और ग्राहक पॉलीथिन के नुकसान के बारे में नहीं समझेंगे, तब तक पॉलीथिन पर रोक लग पाना संभव नहीं है। सरकार को पॉलीथिन के नुकसान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए, वहीं लोगों को भी जागरूक होना होगा।

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क्या कहती हैं जनता
वैशाली नगर निवासी सुमित शर्मा का कहना है कि बाजार में पॉलीथिन आसानी से मिल रही है, इसलिए काम में ले रहे है। अगर कोई कानून बना है तो सरकार सख्ती से उसकी पालना करवाए। जब बाजार में पॉलीथिन ही नहीं आएगी तो लोग अपने आप उपयोग करना बंद कर देंगे।
आगरा रोड निवासी लोकेश धाकड़ का कहना है कि बाजार में खुलेआम पॉलीथिन मिल रही है। जब तक सरकार के अफसर इस ओर ध्यान नहीं देंगे, तब तक पॉलीथिन पर पाबंदी लगना संभव नहीं है। आज बाजार में पॉलीथिन है तो लोगों को भी सुविधा मिल रही है।