
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: जयपुर पश्चिम पुलिस ने साइबर शील्ड के तहत झोटवाड़ा और करधनी थाना क्षेत्र में शनिवार को कॉल सेंटर तथा सट्टा ऐप के जरिये धोखाधड़ी करने वाले 15 ठगों को गिरफ्तार किया है। एक नाबालिग को निरुद्ध भी किया है। पुलिस ने इस मामले में दो एफआइआर दर्ज की। पुलिस ने उनके पास से लैपटॉप, मोबाइल, एटीएम कार्ड, पासबुक, चेकबुक, राउटर, नोटबुक, सिमकार्ड जब्त किए। पुलिस ने बदमाशों के पास मिले 80 बैंक खातों को फ्रीज करवाया है।। पुलिस ने इन खातों की ट्रांजेक्शन डिटेल मांगी है।
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि गोविन्दपुरा निवासी रामानन्द गठाला, करधनी निवासी राजेश कुमार और मुरलीपुरा स्कीम निवासी अशोक कुमार वर्मा को गिरफ्तार किया है। तीनों ठगों ने निवारू रोड पर पैस्फर नाम से कॉल सेंटर संचालित कर रहे थे। इसके जरिये ई-मित्र संचालकों को एईपीएस (आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) सर्विस देने का झांसा देकर ठगी करते थे। ई-मित्र संचालकों को रिचार्ज अकाउंट, ओपनिंग फार्म, बीबीपीएस (भारत बिल भुगतान प्रणाली), बैलेंस इनक्वॉयरी, मिनी स्टेटमेंट, मनी ट्रांसफर जैसे सर्विस देने का झांसा देकर ठगी करते थे। पुलिस को उनके पास से तीन लैपटॉप, तीन मोबाइल और 11 सिमकार्ड सहित अन्य डिवाइस मिली हैं।
पुलिस टीम ने करधनी में दबिश देकर गेमिंग ऐप के जरिये ठगी कर रहे 12 जालसाजों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने करधनी निवासी गणेशराम, डीडवाना कुचामन निवासी ज्ञानाराम, धारा सिंह, सुनील कुमार, झुंझुनूं निवासी कृष्ण कुमार, भिवानी निवासी पंकज, कोटा निवासी राजवीर, झुंझुनूं निवासी आशीष, दीपेश, विजय उर्फ बिजुराम सैन, करधनी निवासी अंकित सोनी को गिरफ्तार किया है। ये सभी केडिया द कोठी में ठगी का कॉल सेंटर चला रहे थे। इनसे 3 लैपटॉप, 2 टैबलेट, 50 मोबाइल, 11 एटीएम, 31 सिमकार्ड, 12 स्कैनर, वाई-फाई, हिसाब की डायरी, 4 नोटबुक, ग्राहकों को दी जाने वाली आइडी, 8 बैंक खाते मिले हैं। ये कैसिनो और तीन पत्ती जैसे गेमिंग ऐप का झांसा देकर ठगी कर रहे थे।
जालसाजों के झोटवाड़ा कॉल सेंटर में दस लड़कियां काम कर रही थीं। लड़कियां ई-मित्र वालों और ग्राहकों को आधार कार्ड संबंधी फ्री सर्विस देने के नाम पर फोन करती थीं। इसके लिए पहले वाट्सऐप ग्रुप के जरिये प्रचार किया जाता। इसमें हर माह 30 से 35 हजार रुपए कमाई का लालच दिया जाता था। वाट्सऐप ग्रुप में जो विज्ञापननुमा सूचना दी जाती उसमें ऑफिस का पता भी फर्जी होता था। जैसे ही कोई ग्राहक उनसे जुड़ता तो उसके खाते से एक से दो हजार रुपए काट लेते थे। इसके बाद वे उसके नंबर को ब्लॉक कर देते थे। ग्राहक बताए हुए पते पर जाता तो वह भी नहीं मिलता था।
Updated on:
19 Jan 2025 08:17 am
Published on:
19 Jan 2025 08:14 am
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