
रिम्स व अंबरीश कुमार। फोटो: पत्रिका
जयपुर। राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की तरह ही सभी छोटी-बड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए खुला रहेगा। विधानसभा में रिम्स विधेयक पारित होने और इसमें इसे क्वार्टरली रैफरल बनाए जाने के निर्णय के बाद उठे सवालों पर चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में यह स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में किसी भी अस्पताल में आने वाले मरीज को इलाज से मना नहीं किया जा सकता। एम्स दिल्ली सहित अन्य पीजीआइ में भी आस-पास के मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। अंबरीश कुमार ने कहा कि रैफरल का अर्थ केवल उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना है, मरीजों के इलाज पर कोई रोक-टोक नहीं होती।
सवाल: रिम्स में आस-पास के मरीज इलाज ले सकेंगे?
जवाब: भारत जैसे देश में इलाज के लिए आने वाले किसी भी मरीज को मना नहीं किया जा सकता। एम्स दिल्ली में भी आस-पास के मरीजों का प्राथमिक इलाज किया जाता है।
सवाल: आपके अनुसार, एम्स दिल्ली में सीधे जाने वाले मरीजों को मना नहीं किया जाता?
जवाब: हां, एम्स में ज्यादातर मरीज रैफर होकर जाते हैं, लेकिन सीधे पहुंचने वालों को भी मना नहीं किया जाता।
सवाल: एसएमएस रैफरल नहीं है, जबकि रिम्स को क्वार्टरली रैफरल घोषित किया गया है… फिर भी क्या दोनों में कोई फर्क रहेगा?
जवाब: एसएमएस में जयपुर के मरीज सीधे आते हैं, जबकि बाकी जिलों और दूसरे राज्यों से आने वाले मरीज रैफर होते हैं।
सवाल: लेकिन एसएमएस में तो जयपुर के बाहर और अन्य राज्यों के मरीज भी सीधे पहुंचते हैं?
जवाब: हां, बिल्कुल आते हैं।
सवाल: तो क्या यह मान लिया जाए कि रिम्स में भी एसएमएस की तरह सीधे मरीज जा सकेंगे?
जवाब: हां, बिल्कुल जा सकेंगे। किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं होगी।
सवाल: फिर क्वार्टरली रैफरल का क्या अर्थ है?
जवाब: इसका अर्थ है कि रिम्स को उच्च स्तरीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में विकसित किया जाएगा।
Published on:
14 Sept 2025 08:19 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
