
राजस्थान में भी सड़क पर उतर सकेंगे लड़ाकू विमान, जानिए भारतमाला परियोजना में कौन बना रोड़ा
रतन दवे
बाड़मेर । सैन्य लिहाज से महत्वपूर्ण और सीमावर्ती 17 राज्यों को जोडऩे की महत्ती भारतमाला परियोजना का बाड़मेर-जैसलमेर जिले का 600 किमी का हिस्सा कार्यादेश के इंतजार में अटका हुआ है। योजना में अप्रेल 2017 में कार्य प्रारंभ होना था, लेकिन लगातार हो रही देरी के बीच कार्यादेश का इंतजार बढ़ता जा रहा है। भारतमाला योजना के तहत देश के 17 राज्य व 7 तटीय प्रदेशों को जोड़ा जाना है।
सीमा से सटी दस मीटर चौड़ी सड़क एक्सप्रेस हाइवे के तर्ज पर होगी। जरूरत पडऩे पर इस पर लड़ाकू विमान भी उतारे जा सकेंगे। सैन्य लिहाज से सुगम परिवहन के लिए तैयार परियोजना पर अप्रेल 2017 में कार्य प्रारंभ होना था और 2020 तक इसे पूरा करना है। पहले से ही एक साल देरी से अप्रेल 2018 में बाड़मेर-जैसलमेर के हिस्से की करीब 600 किमी सड़क स्वीकृति हुई।
मोदी और गडकरी के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
लगभग 2800 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट की स्वीकृति के बाद कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद थी लेकिन एनएचएआई ( राष्ट्रीय सड़क प्राधिकरण) की ओर से अभी तक संबंधित कंपनियों को कार्यादेश जारी नहीं होने से कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के लिए यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। प्रधानमंत्री ने 16 जनवरी की पचपदरा की सभा में इस प्रोजेक्ट के शीघ्र प्रारंभ होने का भरोसा दिया था लेकिन अभी भी इंतजार करना पड़ रहा है।
फैक्ट फाइल
600 किमी सड़क बनेगी बाड़मेर- जैसलमेर जिलों में
2800 करोड़ रुपए होंगे खर्च
17 राज्यों से जुड़ी है भारतमाला योजना
अभी यह होगा कार्य
तनोट- जैसलमेर- 590 करोड़-195 किमी
मुनाबाव- तनोट- 1450 करोड़- 275 किमी
गागरिया-बाखासर-सांगड़- 760 करोड़- 196 किमी
इसलिए महत्वपूर्ण
सैन्य लिहाज से परिवहन
बॉर्डर के 100 गांवों का सीधा जुड़ाव
बाखासर में प्रस्तावित सूखा बंदरगाह से जोड़ेगी
प्रस्तावित भाभर-जैसलमेर रेलवे लाइन से जोड़ेगी
Published on:
14 Sept 2018 08:54 am
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