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Rajasthan : पीएमओ से आया पत्र, हरकत में आई राजस्थान सरकार, जानें ऐसा क्या हुआ

Rajasthan : जय मीनेश आदिवासी विश्वविद्यालय कोटा, यूजीसी नियमों की पालना नहीं कर रहा है। जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र आ गया। इस पत्र के बाद राजस्थान सरकार निजी विश्वविद्यालयों को लेकर एक बार फिर हरकत में आ गई है।

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PMO Letter came Rajasthan government took action regarding private universities know why

ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Rajasthan : कोटा के जय मीनेश आदिवासी विश्वविद्यालय की ओर से यूजीसी नियमों की पालना नहीं करने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय का पत्र आने के बाद राज्य सरकार निजी विश्वविद्यालयों को लेकर एक बार फिर हरकत में आ गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने नियमों की पालना के लिए निजी विश्वविद्यालयों पर सख्ती शुरू कर दी है। इसके लिए निजी विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर सहायक आचार्यों को यूजीसी मापदंडों के अनुसार वेतन देने और सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं।

राजस्थान में निजी विश्वविद्यालयों को नियंत्रण करने के लिए तंत्र नहीं

इसके अलावा यूजीसी के निर्देश के अनुसार विश्वविद्यालय के छात्र, नामांकन, डिग्री और शिक्षकों की जानकारी विश्वविद्यालय पोर्टल पर साझा करने के लिए कहा है। दरअसल, राजस्थान में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या तो बढ़ाई जा रही है, लेकिन सरकार के पास इनको नियंत्रण करने के लिए तंत्र नहीं है।

विश्वविद्यालयों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार सहायक प्रोफेसरों को 57,700 मासिक वेतन देना अनिवार्य है, लेकिन राजस्थान में अधिकांश निजी विश्वविद्यालय इन मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं और उनके विभागों में शिक्षकों की संख्या भी निर्धारित से कम है। इसके अलावा, शिक्षकों की भर्ती के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है।

शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी आ रही सामने

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से निगरानी नहीं होने से शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी सामने आ रही है। इसके अलावा गलत जानकारी के खुलासे और फर्जी व पुरानी डिग्रियों के जारी होने जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है। विश्वविद्यालय का कोई केंद्रीय वेब पोर्टल भी नहीं बनाया गया है। इससे शिक्षकों के आधार कार्ड और पेनकार्ड विवरण, उनके योग्यताओं और यूजीसी अनुरूप वेतन से संबंधित जानकारी सत्यापित नहीं हो पा रही है।

उच्च शिक्षा विभाग ने औपचारिक स्वीकृति नहीं दी

उच्च शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों के सिद्धांतों को औपचारिक स्वीकृति नहीं दी है। इसके चलते निजी विवि के मानक तय नहीं हो पाए हैं। आलम यह है कि राज्य सरकार की ओर से अब तक इन विश्वविद्यालयों की न तो कोई ऑडिट की गई है और न ही वे अपनी जरूरी जानकारी सार्वजनिक वेबसाइट पर अपलोड कर रहे हैं। जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानकों के खिलाफ है।

निजी विश्वविद्यालयों में निगरानी तंत्र जरूरी

राज्य में निजी विश्वविद्यालयों के लिए निगरानी तंत्र जरूरी है। निजी विश्वविद्यालयों के मानक तय किए जाने चाहिए। इसके बाद से निजी विश्वविद्यालयों पर सरकार का पूरी तरह से नियंत्रण हो सकेगा।
प्रो. दरियाव चुंडावत, पूर्व उपाध्यक्ष, राजस्थान राज्य उच्च शिक्षा परिषद