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पुलिस शहीद दिवस विशेष: जरा याद उन्हें भी कर लो… जिन्होंने हमारे लिए लगाई जान की बाजी

पुलिस शहीद दिवस पर उन जांबाजों का स्मरण, जिन्होंने लोगों की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित किया

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सीमा पर तैनात सैनिक देश को बाहरी खतरों से बचाते हैं तो पुलिस आंतरिक सुरक्षा का मोर्चा संभालती है। आज पुलिस शहीद दिवस पर उन जांबाजों का स्मरण, जिन्होंने लोगों की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित किया ।

नेकीराम

ट्रांसपोर्ट नगर थाने के कांस्टेबल। हत्या के अभियुक्त को पकडऩे गए तब सबसे आगे थे। अभियुक्तों के हमले में गम्भीर घायल हो गए। आखिर सांसें थम गईं। पुत्र नरेन्द्र जाखड़ ट्रांसपोर्ट नगर थाने में उप निरीक्षक हैं। कहते हैं, नेकीराम 10 दिसम्बर 2005 को शहीद हुए। विकल्प मिला तो उन्होंने भी पिता की तरह पुलिस की ही नौकरी चुनी।

विक्रम सिंह

विश्वकर्मा थाने के कांस्टेबल। हरियाणा की कुख्यात छैलू गैंग ने 9 सितम्बर 2006 को फायरिंग की। उन्हें कई गोलियां लगी। हमला गैंग ने अपने एक साथी को छुड़ाने के लिए किया था। पुत्र सचिन का कहना है कि पुलिस ही है, जो लोगों को घर-बाहर सुरक्षित माहौल देती है। किसी भी घटना की सूचना पर पिता तत्काल रवाना होते थे ताकि कोई यह शिकायत न करे कि पुलिस देर से पहुंची। उस दिन भी यही हुआ था। वह सादा वर्दी में ही साथी कांस्टेबल धर्मवीर के साथ बाइक पर चल पड़े थे।

फूल मोहम्मद

सूरवाल में जो हुआ, उसे राजस्थान पुलिस कभी भुला नहीं सकती। सवाई माधोपुर में 17 मार्च 2010 को भीड़ ने पुलिस निरीक्षक फूल मोहम्मद को घेर लिया और जिंदा जला दिया। पुत्र सुहेल बताते हैं, पिता समाज कंटकों से सख्ती से पेश आते थे। सूरवाल उनके थानाक्षेत्र में नहीं था फिर भी स्थिति सम्भालने के लिए अंग्रिम पक्ति में थे। विरोध प्रदर्शन करने पानी की टंकी पर चढ़े युवक ने ऊपर से ही छलांग लगा दी। भीड़ ने पुलिस पर हमला किया। वे भीड़ में फंस गए।

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