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पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन से छोटी काशी जयपुर शोक में डूबी, विश्वमोहन भट्ट बोले-संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति

Pt. Chhannulal Mishra Death : पद्म विभूषण पं.छन्नूलाल मिश्र के निधन से गुरुवार को छोटी काशी यानि जयपुर शोक छाया में डूब गई है। ग्रेमी अवॉर्ड विजेता पं.विश्वमोहन भट्ट ने उनके निधन को संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति बताया। प्राचीर सुराणा ने बताया कि जब भी वे जयपुर आते थे, गोविंददेव जी के धोक लगाने जरूर जाते थे।

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Pt. Chhannulal Mishra death Chhoti Kashi Jaipur mourning Vishwa Mohan Bhatt said a big loss for music world

पद्म विभूषण पं.छन्नूलाल मिश्र। फोटो - ANI

Pt. Chhannulal Mishra Death : पद्म विभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन से गुरुवार को जहां काशी की सुर-धारा मौन हो गई, वहीं छोटी काशी भी शोकछाया में डूब गई है। दिग्गज शास्त्रीय गायक पं.छन्नूलाल मिश्र भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके मसाने की होरी, ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती हमारे दिलों में अमर रहेगी। इस अप्रतिम गायक के जाने से संगीत जगत में शून्य पैदा हो गया है। पं.छन्नूलाल मिश्र का गुलाबीनगरी जयपुर से भी गहरा लगाव रहा है।

बहुत कम लोगों को मालूम है कि मिश्र जब भी जयपुर आते तो जयपुर के आराध्य देव गोविंददेवजी की भक्ति में लीन हो जाया करते थे। इस बीच म्यूजिक इन द पार्क और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों में उनके मन से अनायास ही निकल जाया करता था कि इस बार तो ठाकुरजी के धोक लगाना ही है।

प्रदेश के कलाजगत में शोक की लहर

पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन की खबर से प्रदेश के कलाजगत में शोक छा गया। जयपुर के कलाकारों ने कहा कि छन्नूलाल मिश्र का निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती और होरी को जिस सहजता और आत्मीयता से गाया, वह उन्हें शास्त्रीय संगीत की भीड़ में अलग पहचान देता है। पद्म विभूषण से सम्मानित पं.छन्नूलाल मिश्र का सोहर और ठुमरी का पूरा जमाना दीवाना है।

संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति - पं.विश्वमोहन भट्ट

ग्रेमी अवॉर्ड विजेता पं.विश्वमोहन भट्ट ने उनके निधन को संगीत जगत के लिए बड़ी क्षति बताया। वरिष्ठ कथक नर्तक चरण गिरधर चांद ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की। पद्मश्री उस्ताद वासिफउद्दीन खान डागर, सिंगर रवींद्र उपाध्याय, पद्मश्री गजल गायक उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन, पं.हनुमान सहाय सहित कई कलाकारों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

शास्त्रीय संगीत के अद्वितीय साधक थे

उम्र संबंधित बीमारी के बावजूद पं. छन्नूलाल मिश्र शहर में अपनी प्रस्तुति देने के बाद दूसरे दिन गोविंददेव जी के दर्शन के लिए जाते थे। पारिवारिक मित्र और संगीतप्रेमी पद्मश्री प्रकाश सुराणा उन्हें मंदिर लेकर जाते थे। प्रकाश सुराणा के बेटे प्राचीर सुराणा ने पत्रिका को बताया कि पं.छन्नूलाल मिश्र सिर्फ सुर साधक ही नहीं थे बल्कि उनकी आवाज में गंगा घाटों की मिठास, बनारसी बोली की आत्मीयता और लोक-संस्कारों की गहराई थी। सही मायनों में वह शास्त्रीय संगीत के अद्वितीय साधक थे।

उन्होंने बताया कि श्रुतिमंडल के बुलावे पर जब भी वह प्रस्तुति के लिए जयपुर आते तो घर में एक अलग ही माहौल बन जाया करता था। उनकी संगीत सभा में श्रोताओं को सुनने के साथ-साथ सीखने का मौका भी मिलता था। वह बीच-बीच संगीत की बारीकियां भी बताते थे। उनकी प्रस्तुति देखकर युवाओं को शास्त्रीय संगीत का सही तरीके से ज्ञान हो जाया करता था।