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Jaipur Discom : जयपुर समेत प्रदेश के 14 जिलों में बिजली के फॉल्ट, ट्रिपिंग व अन्य तकनीकी समस्या दूर करने के लिए पहली बार लो-टेंशन (एलटी) के साथ हाइटेंशन (एचटी) बिजली तंत्र को सुधारने का जिम्मा एक ही टीम को दिया गया है। परेशानी यह है कि न तो एफआरटी (फॉल्ट रेक्टिफिकेशन टीम) के लिए अतिरिक्त वाहन बढ़ाए गए और न ही अपेक्षित तकनीकी कर्मचारी।
करीब 487 करोड़ रुपए में अनुबंध पर दिए गए काम में एचटी लाइन फॉल्ट के अतिरिक्त काम के लिए टीम में केवल एक कर्मचारी बढ़ाया गया। इससे लोगों को तत्काल राहत देने का जयपुर डिस्कॉम प्रबंधन का मकसद पूरा नहीं हो पाएगा। फील्ड इंजीनियर सीधे तो प्रबंधन को कुछ नहीं कह पा रहे, लेकिन उच्चाधिकारियों तक परेशानी की जानकारी पहुंचा दी है।
पहले एक एफआरटी टीम के लिए हर माह 201500 रुपए भुगतान किया जा रहा था, अब एक कर्मचारी बढ़ाया गया है और इसके लिए अतिरिक्त 97500 रुपए बढ़ाए गए। इसमें एचटी लाइन का काम भी शामिल है।
487
करोड़ में फॉल्ट-ट्रिपिंग सुधारेंगे।
340
एफआरटी वाहन किए गए शामिल।
5100
कर्मचारी सक्रिय रहेंगे राउंड-द-क्लॉक।
04
साल के लिए दी गई कंपनी को जिम्मेदारी।
1- अभी तक एलटी लाइन के लिए भी एक वाहन था और अब एचटी लाइन का काम जोड़ने के बाद भी एक ही वाहन रखा गया। यदि एक ही समय एलटी और एचटी लाइन में फॉल्ट हो जाए तो एक ही टीम कहां जाएगी। ऐसे में डिस्कॉम के इंजीनियरों को ही दौड़ना पड़ेगा, क्योंकि बिजली सप्लाई तुरंत शुरू करने का दबाव रहेगा।
2- टीम के पास 11 केवी लाइन के फॉल्ट सुधारने की जिम्मेदारी होगी। 33 केवी से जुड़ा काम डिस्कॉम को ही करना होगा।
1- कॉल सेंटर से एफआरटी टीम को शिकायत मोबाइल एप के जरिए ट्रांसफर की जानी होती है, जिससे तत्काल शिकायत पहुंचे और फॉल्ट ठीक करने का समय घटे।
2- एफआरटी टीम को भी एप के माध्यम से ही पालना की जानकारी देनी होती है। लेकिन, पिछले ज्यादातर मामलों में मैन्युअल ही शिकायत फॉरवर्ड की जाती रही है।
Updated on:
10 Jul 2025 08:24 am
Published on:
10 Jul 2025 08:23 am
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