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Rajasthan : राजस्थान अपनी भूतिया जगहों के लिए भी फेमस है। इन 5 जगहों के बारे में जानिए जहां डरने के बाद भी पर्यटक जाते हैं। इनके बारे में प्रचालित कहानियां सुनकर पर्यटकों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
अलवर के भानगढ़ किले को भुतहा किलों में से एक माना जाता है। यहां लगा ASI का बोर्ड इस बात को कुछ हद तक पुख्ता करता है, जिसमें लिखा है कि शाम ढलते ही यहां जाना मना है। बताया जाता है कि रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। रहस्यमय और यहां की भूतिया कहानियों की वजह से यह जगह काफी टूरिस्टों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। प्रचलित कहानियों के अनुसार, एक तांत्रिक ने राजकुमारी को श्राप दिया था, जिसके बाद से यहां अलौकिक गतिविधियां होती हैं। सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश वर्जित है।
जैसलमेर के कुलधरा गांव 200 साल से वीरान है। ऐसा माना जाता है कि यहां आज भी आत्माएं भटकती हैं। मिथक है कि एक मंत्री को ग्राम प्रधान की बेटी पसंद आ गई थी। बेटी की इज्जत बचाने को पूरा गांव रातों-रात दूसरी जगह चला गया। साथ ही गांव को ऐसा श्राप दिया कि यहां गांव कभी बस नहीं पाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कुलधरा गांव को संरक्षित कर रखा है। यहां एक खंडहर देवी मंदिर है, जिसके अंदर शिलालेख है, जिसकी वजह से पुरातत्वविदों को जानकारी में मदद मिलती है। रोजाना सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक गांव में घूम सकते हैं।
नाहरगढ़ किले के बारे में किंवदंती है कि किले में प्रेतात्मा भटकती थी। इतिहासकारों के अनुसार इस किले की नींव महाराजा सवाई जय सिंह ने रखी थी। राजा राम सिंह और महाराजा माधव सिंह के कार्यकाल में यहां निर्माण कार्य हुए। जिसमें माधवेन्द्र महल महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि किले की नींव के बाद जब निर्माण कार्य शुरू किया गया तो एक आत्मा उन दीवारों को रात को गिरा देती थी। अंत में एक तांत्रिक ने उसका हल निकाला। बताया कि यह आत्मा वीर योद्धा नाहर सिंह की थी जो युद्द में सिर कटने के बाद भी लड़ता रहा। इसके बाद उनके नाम पर मंदिर बनाया गया, जो आज भी नाहर सिंह बाबा के नाम से मौजूद है।
राणा कुम्भा महल को भी राजस्थान के भूतिया स्थानों में गिना जाता है। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान रानी पद्मिनी और अन्य महिलाओं के जौहर (आत्मदाह) के बाद, यहां आज भी महिलाओं की चीखें और जले हुए चेहरे वाली परछाईं देखने का दावा किया जाता है। बताया जाता है कि महल के भूमिगत तहखानों को में जौहर हुआ था और इन जगहों पर विशेष रूप से डरावनी आवाजें महसूस होती है।
दौसा में चांद बावड़ी 9वीं शताब्दी में बनाई गई थी। ऐसा कहा जाता है कि चांद बावड़ी को भूतों ने एक रात में ही बना दिया था। लोगों का मानना है कि इतनी बड़ी संरचना बनाना इंसानों के लिए असंभव है। चांद बावड़ी अपनी खूबसूरती और रहस्यों के लिए मशहूर है। एक लोककथा है कि एक बारात इस बावड़ी की अंधेरी गुफा में चली गई थी फिर आज तक वापस नहीं लौटी। पर्यटकों के भी अजीबोगरीब अनुभव के दावे हैं, जिसमें अचानक तापमान गिरने, परछाईं देखने, फुसफुसाहट सुनने और सीढ़ियों पर चक्कर आना शामिल है। कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति एक ही रास्ते से सीढ़ियों से नीचे उतरकर वापस ऊपर नहीं आ सकता और एक ही सीढ़ी पर दो बार कदम नहीं रख सकता।
Published on:
18 Dec 2025 03:48 pm
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