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एग्रीकल्चर लोन घटने से राजस्थान में कृषि विकास दर 2.5 फीसदी से भी कम, विशेषज्ञ चिंतित, कही बड़ी बात

Agriculture Loan in Rajasthan : राजस्थान की 60 फीसद प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन बैंकों से दिए जा रहे कृषि लोन की वृद्धि दर धीमी हो रही है। चिंता इस बात की है ​कि जिस राज्य में 60 फीसदी लोग खेती पर निर्भर, वहां कृषि ऋण वृद्धि एक-तिहाई घटी है। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

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Rajasthan Agriculture Growth Rate less than 2.5 Percentage Due to Reduction in Agriculture Loan Experts Worried said a big thing

पत्रिका फोटो

Agriculture Loanin Rajasthan : राजस्थान की 60 फीसद प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन बैंकों से दिए जा रहे कृषि लोन की वृद्धि दर धीमी हो रही है। 2024 में यह 13 फीसद थी, जो 2025 में घटकर 9 फीसद रह गई है। इस वजह से वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य की GDP में कृषि विकास दर 2.5 फीसद से भी कम रही।

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक केवल फसल संबंधी ऋण पर जोर दे रहे हैं, इससे कृषि ऋण की वृद्धि घट रही है। उनका कहना है कि बैंकों को कृषि से संबंधित अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान देना होगा। यानी पशुपालन, फूड प्रोसेसिंग जैसी गतिविधियों के लिए किसानों को ज्यादा ऋण देने होंगे। मई में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक नवीन नाम्बियार ने भी वृद्धि दर में इस कमी को चिंताजनक माना था।

बैंकों का एनपीए बढ़ा

राजस्थान में बैंकों की ओर से दिए गए लोन में नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) बढ़कर 22,939 करोड़ हो गया। एक साल में इसमेंं 325 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। पिछले साल यह 22,614 करोड़ रुपए था। इसमें कृषि क्षेत्र का 59.49 फीसद और एमएसएमई का 19.34 फीसद हिस्सा है। हालांकि कुल एनपीए में 0.36 फीसद की कमी आई है। यह एक साल पहले के 3.46 फीसद मुकाबले 3.10 फीसद पर आ गया है।

राजस्थान के आठ जिले जहां ज्यादा एनपीए

एनपीए का सबसे ज्यादा स्तर डीग में 18.55 फीसद दर्ज हुआ। वहीं यह धौलपुर में 11.60 फीसद, फलोदी में 11.55 फीसद, जैसलमेर में 11.47 फीसद, करौली में 10.04 फीसद, सवाई माधोपुर में 8.63 फीसद, दौसा में 7.33 फीसद और बारां में 6.57 फीसद रहा।

ऐसी है बैंकों की स्थिति

व्यावसायिक बैंकों में एनपीए का स्तर 3.42 फीसद से घटकर 3.06 फीसद पर आ गया, लेकिन कोऑपरेटिव बैंकों में यह 7.58 फीसद से बढ़कर 7.75 फीसद और स्मॉल फाइनेंस बैंक में 1.60 फीसद से बढ़ कर 2.30 फीसद पहुंच गया।

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प्रदेश में सवा लाख बैंक अकाउंट घटे

एक ओर प्रदेश की आबादी बढ़ रही है, दूसरी ओर बीते एक वर्ष में 1,26,296 करंट और सेविंग अकाउंट घट गए। जहां ज्यादा लोगों को बैंकिंग से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं यह कमी चिंताजनक है। आरबीआई ने बैंकों को इसकी वजह तलाशने को कहा है।

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कई बैंकों के आधे बीसी काम नहीं कर रहे

राज्य में फिनो पेमेंट्स बैंक के 72.06 फीसद और केनरा बैंक के 54.29 फीसद बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट(बीसी) सक्रिय नहीं हैं। यूको बैंक के 25.41 फीसद, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के 15.11 फीसद और एक्सिस बैंक 13.52 फीसद बीसी काम नहीं कर रहे। बीसी कम आबादी वाले गांव में बैंकों के एजेंट के रूप में बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं देते हैं।

बैंकों की अजीब दरख्वास्त

राज्य में बैंक 300 से कम आबादी वाले गांवों में बैंक शाखा खोलना या बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट तैनात करना आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं मान रहे। उन्होंने समिति को भारत सरकार के वित्त सेवा विभाग से अनुरोध करने के लिए कहा है कि ऐसे गांवों में बैंक आउटलेट खोलने से उन्हें छूट दी जाए।

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