
जयपुर।
विधानसभा सत्र की आज से शुरुआत हो रही है। सत्र के दौरान सरकार की ओर से करीब आधा दर्जन विधेयक पेश करने की संभावना है। वहीं कांग्रेस लोक सेवकों की हित रक्षा के नाम पर लाए जा रहे विधेयक का विरोध करेगी। इसके अलावा गुर्जर आरक्षण और किसानों के कर्ज माफी का मामला भी सदन में गूंजेगा। ऐसे में इस संक्षिप्त सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है।
जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से सोमवार को छह विधेयक सदन में रखे जाएंगे। जहां भाजपा और सरकार बचाव की मुद्रा में आकर विधेयक के पक्ष में खड़ी है तो कांग्रेस आक्रमक तेवर दिखा रही है। सत्र के पहले दिन दिवगंत सांसद सांवरलाल जाट, चांदनाथ और विधायक कीर्ति कुमारी समेत 14 नेताओं को शोकाभिव्यक्ति दी जाएगी।
विधायक दलों की बैठक
विधानसभा के मानसून सत्र की रणनीति बनाने के लिए भाजपा-कांग्रेस विधायक दल की बैठक सत्र शुरू होने से पहले होगी। भाजपा जहां सत्र में कार्यसूची निबटाने के लिए फ्लोर मैनेजमेंट पर चर्चा करेगी। वहीं कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सरकार को घेरने की रणनीति बनाई जाएगी।
ये छह विधेयक होंगे पेश
1-दंड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017
2-दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017
3-राजस्थान विधानसभा सदस्य (निरर्हता-निवारण)
4- राजस्थान सिंचाई प्रणाली के प्रबंध में कृषकों की सहभागिता (संशोधन)
5-राजस्थान सहायता उपक्रम (विशेष उपप्रबंध) संशोधन
6-राजस्थान राज्य विद्युत वितरण प्रबंध उत्तरादायित्व (संशोधन)
कांग्रेस विधायक तख्तियां लेकर पहुंचेंगे
लोकसेवकों को संरक्षण देने के काले कानून के विरोध में कांग्रेस विधायक सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में तख्तियां लेकर पहुंचेंगे। सुबह 10 बजे विधानसभा के पश्चिमी द्वार के सामने कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा के निवास पर एकत्रित होंगे। सुबह 10.30 बजे सभी विधायक नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के नेतृत्व में पैदल मार्च निकालकर हाथों में तख्तियां लिए विधानसभा में प्रवेश करेंगे।
चौतरफा घिरी सरकार
इस अध्यादेश को लेकर कांग्रेस, आप समेत अन्य राजनीतिक दलों ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इस अध्यादेश के अनुसार पूर्व व वर्तमान जजों के साथ लोक सेवकों की शिकायत करना आसान नहीं होगा। इस मामले में सजा तक का प्रावधान है। विधानसभा में सोमवार को इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में गृहमंत्री पेश करेंगे और इस पर मुहर लग जाएगी।
विधेयक में ये प्रावधान
- राज्य में जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना अब आसान नहीं होगा। ऐसे मामलों में एफ आईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी।
- राज्य सरकार ने यह नया अध्यादेश पारित किया है, जिसमें ड्यूटी के दौरान किसी जज या सरकारी कर्मचारी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के जरिए भी एफ आईआर दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसके लिए सरकारी की अनुमति अनिवार्य होगी। -हालांकि, सरकार इजाजत नहीं देती है तो 180 दिन (छह माह) के बाद कोर्ट के जरिए एफ आईआर दर्ज कराई जा सकती है।
मीडिया भी दायरे में, दो साल की सजा का प्रावधान
सरकार के इस नए अध्यादेश के तहत इस तरह के किसी भी सरकारी कर्मचारी, जज या अधिकारी का नाम, स्थान की जानकारी या किसी भी तरह की पहचान तब तक प्रेस रिपोर्ट में नहीं दे सकते, जब तक सरकार इसकी इजाजत न दे। ऐसा नहीं करने पर दो साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
Published on:
23 Oct 2017 07:51 am
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