उपचुनाव में हार के बाद सरकार के खिलाफ अपनों ने ही खाेला मोर्चा, ठुकराया बजट काे लेकर निमंत्रण
प्रदेश में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हार के बाद सरकार के खिलाफ उसके अपनों ने ही मोर्चा खोल दिया है।

जयपुर। प्रदेश में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हार के बाद सरकार के खिलाफ उसके अपनों ने ही मोर्चा खोल दिया है। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने ना सिर्फ सरकार की खिलाफत शुरू कर दी है, बल्कि राज्य बजट में किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए सरकार का निमंत्रण तक ठुकरा दिया है।
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष और प्रांत अध्यक्ष को राज्य बजट पर चर्चा के लिए बुलाया था। किसानों की अनदेखी से नाराज किसान संघ पदाधिकारियों ने सरकार का निमंत्रण ठुकरा दिया। किसान संघ पदाधिकारियों का आरोप है कि राज्य सरकार ने किसानों की मांगों पर वादाखिलाफी की है।
किसान कर्ज माफी, फसलों का उचित मूल्य, बिचौलियों का दखल खत्म करने और किसान के जीवन स्तर में सुधार सहित अन्य मांगों पर राज्य सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। कर्ज माफी के मुद्दे पर तो सरकार अपनी बात से मुकर रही है। सरकार ने बजट तैयार कर लिया है। बजट पेश करने से 3—4 दिन पहले बुलाने का औचित्य क्या है? सरकार किसानों की सिर्फ बात कर रही है, हकीकत में कुछ करना नहीं चाहती। बजट से ऐन पहले चर्चा के नाटक से कुछ बदलने वाला नहीं है।
धरना- प्रदर्शन से बनाया दबाव
भारतीय किसान संघ ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और बिचौलियों को खत्म करने की मांग को लेकर मुहाना फल—सब्जीमंडी में धरना दिया। साथ ही किसान की आवाज नहीं सुनने पर सरकार को अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। किसान संघ के बैनर तले मुहाना में आंदोलनरत किसानों ने जयपुर की मुहाना मंडी और लालकोठी फल—सब्जीमंडी सहित प्रदेश की सभी मंडियों में बिचौलियों का दखल खत्म कर किसानों को अपनी उपज सीधे उपभोक्ता को बेचने के लिए प्लेटफार्म मुहैया करवाने की मांग की है। किसान संघ के प्रदेश पदाधिकारियों ने किसानों की सुनवाई नहीं होने पर सरकार को उप चुनाव परिणाम जैसे अंजाम भुगतने की चेतावनी देकर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है।
राज्य सरकार ने बजट पर चर्चा के लिए भारतीय किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष और प्रांत अध्यक्ष को बुलाया था, लेकिन किसान संघ ने सरकार का निमंत्रण ठुकरा दिया। सरकार ने किसानों के साथ वादा खिलाफी की है। जब बजट तैयार हो चुका, तब चर्चा का औचित्य ही क्या है? सरकार सिर्फ किसानों से चर्चा का नाटक कर रही है।
राकेश चौधरी, भारतीय किसान संघ पदाधिकारी
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