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राजस्थान का इतिहास : जिस पार्टी को मतदाताओं ने विधानसभा में सिर-आंखों पर बैठाया, उपचुनाव में उसे दिखाई जमीन

पिछले 20 साल में हुए उपचुनावों का विश्लेषण : कुल 26 मुख्य चुनाव में जीते दल की जीत-10, मुख्य चुनाव में पराजित दल की जीत-16, जनता ने जिस दल को मुख्य चुनाव जिताया, उपचुनाव में उसे पसीना आया

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ashok gehlot and sachin pilot

राजस्थान का इतिहास : जिस पार्टी को मतदाताओं ने विधानसभा में सिर-आंखों पर बैठाया, उपचुनाव में उसे दिखाई जमीन

शादाब अहमद / जयपुर.Rajasthan में दो विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव ( Byelection ) की तारीख तय होने के साथ ही सियासत भी गर्माने लगी है। वहीं पिछले 20 साल के उपचुनाव का इतिहास देखे तो अजब ही कहानी देखने को मिल रही है। जनता ने जिस दल को मुख्य चुनाव में सिर-आंखों पर बिठाया है, उसे उपचुनाव में जमीन पर ला दिया। इस दौरान कुल 26 सीट पर उपचुनाव हुए, जिनमें मुख्य चुनाव में जीत हासिल करने वाले दल को अधिकांश सीट पर हार का सामना करना पड़ा। वहीं सत्ताधारी दल का प्रदर्शन भी उपचुनाव में अक्सर फीका ही रहा है।

भाजपा ( BJP ) और रालोपा ( RLP ) में उपचुनाव को लेकर गठबंधन हो चुका है और रालोपा ने खींवसर ( Khimsar ) से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। यह उपचुनाव इस गठबंधन के साथ कांग्रेस सरकार ( Congress Government ) के कामकाज की परीक्षा भी साबित होगा। 1998 से लेकर 2018 तक 26 विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। इनमें से मुख्य चुनाव में जीतने वाले दल को सिर्फ 10 सीट पर जीत नसीब हो सकी, जबकि 16 सीट पर पराजित दल या अन्य को जीत मिली।

उपचुनाव में अक्सर पिछड़ती रही है सत्ता पक्ष

1. 1998 से 2003 के बीच सबसे अधिक 13 उपचुनाव हुए। इस दौरान सरकार होने के बावजूद कांग्रेस सिर्फ 5 सीट पर चुनाव जीत सकी। जबकि सता सीट पर उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही कांग्रेस और भाजपा तीन-तीन सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हुई। जबकि कांग्रेस और भाजपा के हाथ से तीन-तीन सीट निकल गई।

2. 2003-08 के बीच 5 सीट पर उपचुनाव हुए। सरकार के बलबूते तीन सीट पर भाजपा को जीत मिली। भाजपा ने दो सीट विपक्ष से छीनी। उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ से दो सीट निकल गई। जबकि एक सीट पर कब्जा बरकरार रख सकी।


3. 2008-13 के बीच सिर्फ दो सीट पर उपचुनाव हुए। इसमें कांग्रेस और भाजपा एक-एक सीट पर अपना कब्जा बरकरार रख पाई।

4. 2013-14 के बीच 6 सीट पर उपचुनाव हुए। इस दौरान सबसे अधिक सियासी खेल देखने को मिला। सत्ताधारी भाजपा को सिर्फ दो सीट पर जीत मिली। उसके हाथ से चार सीट निकल कर विपक्ष कांग्रेस के पास चली गई। उपचुनाव में कांग्रेस को शतप्रतिशत फायदा हुआ।