28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान में सस्ती बिजली की नई योजना, अक्षय ऊर्जा की कंपनियों को करना होगा ये जरूरी काम

Rajasthan Cheap Electricity Update : राजस्थान में सस्ती बिजली की नई योजना। प्रदेश में अक्षय ऊर्जा (सोलर, विंड एनर्जी) प्लांट से सस्ती बिजली बनाने वाली कंपनियों को अब 5 प्रतिशत बिजली बैटरी में स्टोर करनी ही होगी। जानें और क्या हैं नए निर्देश।

2 min read
Google source verification
Rajasthan Cheap Electricity New Scheme Renewable Energy Companies will have to do this important work

भवनेश गुप्ता
Rajasthan Cheap Electricity Update :
राजस्थान में अक्षय ऊर्जा (सोलर, विंड एनर्जी) प्लांट से सस्ती बिजली बनाने वाली कंपनियों को अब 5 प्रतिशत बिजली बैटरी में स्टोर करनी ही होगी। इनमें वे कंपनियां शामिल हैं, जो राज्य में बिजली सप्लाई के लिए डिस्कॉम के साथ अनुबंध करेगी। साथ ही कैप्टिव पावर प्लांट लगाने वाली औद्योगिक इकाइयां भी इसके दायरे में आएंगी। इस स्टोरेज बिजली का उपयोग पीक ऑवर्स के उन सात घंटे में किया जा सकेगा, जब बिजली की डिमांड ज्यादा रहती और कटौती की नौबत आती है। साथ ही पीक ऑवर्स में महंगी बिजली खरीद से काफी हद तक छुटकारा मिलेगा।

राज्य अक्षय ऊर्जा निगम ने अब निविदा व अनुबंध दस्तावेज में बैटरी स्टोरेज की अनिवार्यता की शर्त भी जोड़ रहा है। कैप्टिव पावर प्लांट के लिए आवेदन आए हैं और सोलर, विंड पावर प्लांट के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। सरकार ने क्लीन एनर्जी पॉलिसी में यह प्रावधान किया है।

उत्पादन निगम भी कर रहा तैयारी

राज्य विद्युत उत्पादन निगम बैटरी स्टोरेज का अलग प्लांट लगा रहा है। इसकी क्षमता 2000 मेगावाट होगी। इसमें से एक हजार मेगावाट के लिए निविदा जारी भी कर दी गई है। शुरुआत लागत 6 से 7 हजार करोड़ आंकी गई है। फिलहाल स्टोरेज महंगी प्रक्रिया है और सस्ती लागत कैसे आए, इस पर अध्ययन किया जा रहा है।

अत्याधुनिक तकनीक पर भी फोकस

परंपरागत संयंत्र से बिजली उत्पादन न केवल महंगा है बल्कि इससे प्रदूषण का स्तर पर भी बढ़ता जा रहा है। 1 किलो कोयला से 2.5 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। इस प्रक्रिया में कॉर्बनडाइ ऑक्साइड, सल्फर, कॉर्बन मोनो ऑक्साइड सहित अन्य गैस निकलती है। इसलिए भी सरकार बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए अब तेजी से प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि इसमें अत्याधुनिक तकनीक के लिए अफसरों को विदेश भी भेजने पर मंथन किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें :राजस्थान में कंपनियां बनाएंगी सस्ती बिजली, पर प्रदेश को नहीं मिलेगी 1 यूनिट भी, जानें क्यों

सात घंटे 1500 मेगावाट तक कमी

अक्षय ऊर्जा निगम के अफसरों के मुताबिक पीक ऑवर्स के सात घंटे के दौरान अत्यधिक मांग होने के कारण 1200 से 1500 मेगावाट बिजली कमी रहती है। ऐसे में बैटरी स्टोरेज से एक साल में इस दौरान करीब 380 करोड़ यूनिट बिजली की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी।

यह भी पढ़ें :राजस्थान में मुफ्त बिजली योजना में इन उपभोक्ताओं को होगा ज्यादा नुकसान, जानें कैसे

स्टोर बिजली का यह उपयोग

1- स्टोरेज बैटरी सोलर पैनल या विंड प्लांट से जुड़े संसाधनों में ही इनबिल्ट होगी। बैटरी में स्टोरेज क्षमता की बिजली तो यहां संग्रहित हो जाएगी और बाकी बिजली का उपयोग तत्काल कर सकेंगे या फिर ग्रिड में चली जाएगी।
2- रात में सौर ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए चिन्हित प्लांट, फैक्ट्री या ऑफिस में बिजली का उपयोग करना है तो ग्रिड से लेने की बजाय स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।
3- किसी समय ज्यादा दर पर बिजली मिल रही होगी तो भी स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग कर सकेंगे।

यह भी पढ़ें : Pahalgam Terror Attack : नीरज उधवानी का पार्थिव शरीर देख आंखों से आंसू छलके, फूटा आक्रोश, आज होगा अंतिम संस्कार

यह है प्राकृतिक उर्जा प्लांट्स की क्षमता

28,286 हजार मेगावॉट क्षमता के सोलर प्लांट्स।
5,208 हजार मेगावॉट क्षमता विंड प्लांट्स।
134 मेगावॉट क्षमता बायोमॉस प्रोजक्ट।
24 मेगावॉट क्षमता के स्मॉल हाइड्रो।

यह भी पढ़ें :पहलगाम आतंकी हमले के बाद राजस्थान में अलर्ट जारी, पुलिस सक्रिय