
राजस्थान हाईकोर्ट से कांस्टेबल को मिला न्याय, पत्रिका फोटो
Rajasthan High Court: जयपुर. हाईकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल की बर्खास्तगी की प्रक्रिया में खामी मानते हुए उसे बर्खास्त करने के 41 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को सेवा में निरंतर मानते हुए सेवानिवृत्ति परिलाभ देने को कहा। आदेश की पालना के लिए तीन माह का समय दिया है।
न्यायाधीश आनंद शर्मा ने रमेश की 23 साल पुरानी याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया। इस बीच याचिकाकर्ता अब सेवानिवृत्ति आयु से 7 साल अधिक का हो चुका है। अधिवक्ता संदीप भगवती ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1979 में कांस्टेबल नियुक्त हुआ। इसी दौरान सरकार के पास एक शिकायत पहुंची, जिसमें कहा कि उसका वास्तविक नाम मोहन लाल होने व भाई रमेश के दस्तावेज से नौकरी हासिल की। इस कारण उसे जनवरी, 1984 में निलंबित और जून 1984 में बर्खास्त कर दिया गया। इसके खिलाफ विभागीय अपील भी नवंबर, 1984 में खारिज हो गई।
याचिका में कहा कि उसे सुनवाई का अवसर नहीं मिला और इस मामले को लेकर दर्ज आपराधिक प्रकरण में 31 मार्च, 2000 को कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। इसके बाद उसने वर्ष 2002 में यह याचिका दायर की। राज्य सरकार ने कहा कि करीब 18 साल की देरी से याचिका दायर की गई और विभागीय अपील के आदेश को तत्काल चुनौती नहीं दी। ऐसे में देरी के आधार पर याचिका खारिज की जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने और अपील खारिज करने के दौरान निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता आपराधिक मामले में बरी भी हो चुका। कोर्ट ने इस स्थिति का हवाला देकर याचिकाकर्ता का बर्खास्तगी आदेश और अपीलीय अधिकारी का आदेश रद्द कर दिया।
Published on:
26 Aug 2025 09:35 am
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