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राजस्थान में शिक्षा के स्तर पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कहा- स्थिति दूसरे राज्यों से बहुत खराब

Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षा की स्थिति को लेकर गंभीर टिप्पणी की है।

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फाइल फोटो पत्रिका

Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षा की स्थिति को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि पंजाब में शिक्षा को धर्म मानते हैं, राजस्थान में शिक्षा की स्थिति दूसरे राज्यों से खराब है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने लायक शिक्षक नहीं रखे जाते। शिक्षा पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

साथ ही, निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्री-प्राइमरी के एंट्री लेवल व पहली कक्षा में प्रवेश देने के मामले में कहा कि राज्य सरकार ने इस तरह के दिशा-निर्देश किस कानून के तहत जारी किए और फीस का पुनर्भुगतान क्यों नहीं किया जाएगा, इस बारे में जवाब देने के लिए 19 अगस्त को सक्षम स्तर का अधिकारी हाजिर हो।

राज्य सरकार व निजी स्कूलों की अपीलों पर की संयुक्त सुनवाई

न्यायाधीश अवनीश झिंगन व न्यायाधीश बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने राज्य सरकार व निजी स्कूलों की अपीलों पर गुरुवार को संयुक्त सुनवाई की। इन अपीलों में एकलपीठ के 18 जुलाई 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें निजी स्कूलों को आरटीई के अंतर्गत प्री-प्राइमरी के एंट्री लेवल व पहली कक्षा में प्रवेश देने के लिए कहा था।

निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल व अभिनव शर्मा ने कोर्ट को बताया कि निजी स्कूलों को आरटीई के अंतर्गत अलग-अलग स्तर पर प्रवेश का आदेश नहीं दिया जा सकता।

एकलपीठ के निर्देश को रद्द करने का आग्रह

उधर, राज्य सरकार ने एकलपीठ के उस निर्देश को रद्द करने का आग्रह किया है, जिसमें आरटीई के तहत प्री प्राइमरी में प्रवेश की फीस का पुनर्भुगतान नहीं करने वाले प्रावधान को रद्द कर दिया। राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में आरटीई के तहत चार लेवल में एडमिशन की बजाय नर्सरी व पहली कक्षा में एडमिशन देने के निर्देश को भी चुनौती दी।