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राजस्थान में बिजली बिल को लेकर नया अपडेट, उपभोक्ताओं की धड़कनें हुई तेज, आयोग बना रहा ‘वसूली’ का रोडमैप

Rajasthan Electricity Bill : राजस्थान में बिजली बिल को लेकर नया अपडेट। राजस्थान बिजली उपभोक्ताओं की धड़कनें हुई तेज। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत टैरिफ याचिका पर होमवर्क कर रहा है।

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Rajasthan electricity bill New Update consumers heartbeats increased commission is making a roadmap for recovery

फोटो पत्रिका

Rajasthan Electricity Bill : राजस्थान की बिजली कंपनियों पर करीब 47 हजार करोड़ रुपए के रेगुलेटरी एसेट्स का बोझ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे खत्म करने के लिए कंपनियों के पास तीन रास्ते हैं, या तो सरकार उपभोक्ताओं से वसूल करे या खुद वहन करे या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। इसी कारण बिजली कंपनियों से लेकर ऊर्जा विभाग तक पसोपेश में है। उधर, राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत टैरिफ याचिका पर होमवर्क कर रहा है। ऐसा हुआ तो बिजली बिल में बढ़ोतरी होना तय है। अब गेंद विनियामक आयोग के पाले में है।

राजस्थान के लिए परेशान करने वाली बात यह है कि ...

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मामले में हाल ही आदेश दिया था कि बिजली कंपनियां 1 अप्रेल 2024 से चार साल के भीतर सभी रेगुलेटरी एसेट्स खत्म करें। यानी तय समय में कंपनियों को यह बोझ कम करना ही होगा। राजस्थान के लिए परेशान करने वाली बात यह है कि डेढ़ साल बीत चुका है और अब सिर्फ ढाई साल में इतनी बड़ी रकम का बोझ खत्म करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

यह है रेगुलेटरी एसेट

जब बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को बिजली बेचती है तो उसका खर्च (जैसे बिजली उत्पादन, खरीद, ट्रांसमिशन और रखरखाव) तय दरों से ज़्यादा होता है, लेकिन कई बार सरकार या विनियामक आयोग समय पर बिजली के दाम (टैरिफ) नहीं बढ़ाते। ऐसी स्थिति में कंपनियां उपभोक्ताओं से पूरी लागत नहीं वसूल पाती। इस बची हुई रकम को ही रेगुलेटरी एसेट मानते हैं। इसे बाद में टैरिफ बढ़ाकर वसूला जाता है। जब तक वसूली नहीं होती, कंपनियां कर्ज लेकर खर्च चलाती हैं। अफसरों का दावा है कि बिजली खर्च बढ़ने के बावजूद दरों में समय पर वृद्धि न होने से रेगुलेटरी एसेट्स 47 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो गए।

टैरिफ याचिका में भी है प्रस्तावित

डिस्कॉम्स ने विद्युत विनियामक आयोग में दायर टैरिफ याचिका में रेगुलेटरी सरचार्ज का प्रस्ताव रखा है। यह एक रुपए यूनिट है। इसके जरिए बिजली कंपनियां अपने रेगुलेटरी एसेट को खत्म करना चाह रही है। हालांकि, कुछ श्रेणियों में बिजली शुल्क घटाने का सुझाव भी दिया हुआ है। इसमें से बेस फ्यूल सरचार्ज की राशि समायोजित होगी और जो बकाया पैसा बचेगा, वह लिया जाएगा, लेकिन इतने कम समय में इतनी मोटी राशि वसूलने का प्लान नहीं था।

आयोग की भी जिम्मेदारी तय की..

कोर्ट ने राज्य विद्युत विनियामक आयोगों की जिम्मेदारी भी तय की है। आयोग को इन संपत्तियों की वसूली के लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा और मौजूदा नियामक संपत्तियों की बढ़ती संख्या पर ऑडिट भी करानी होगी। निगरानी विद्युत अपीलीय प्राधिकरण (एपटेल) करेगा।