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राजस्थान में राजकीय सेवा के कर्मचारियों को बड़ा झटका, पूर्व सेवा के वेतन संरक्षण पर रोक, जानें वित्त विभाग का फैसला

राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों, स्वायत्तशासी निकायों, स्थानीय निकायों या पंचायती राज संस्थानों से सीधे भर्ती के जरिए राजकीय सेवा में आए कर्मचारियों के लिए पूर्ववर्ती सेवा में प्राप्त वेतन को संरक्षित नहीं किया जा सकता। केवल वे कर्मचारी ही पूर्ववर्ती वेतन के संरक्षण के पात्र होंगे, जो पहले से नियमित चयन के आधार पर सरकार की सेवा में कार्यरत थे।

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जयपुर

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Arvind Rao

Sep 02, 2025

Rajasthan Finance Department

वित्त विभाग का बड़ा निर्णय (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: राज्य वित्त विभाग ने बड़ा निर्णय लेते हुए स्पष्ट किया है कि राजस्थान के सार्वजनिक उपक्रमों, स्वायत्तशासी निकायों, स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं से सीधे भर्ती होकर राजकीय सेवा में आने वाले कर्मचारियों को उनकी पूर्ववर्ती सेवा के आधार पर वेतन संरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।


विभाग द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि केवल वे ही कर्मचारी वेतन संरक्षण के पात्र होंगे, जो पहले से राज्य सरकार की सेवा में नियमित चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त थे और बाद में नई नियुक्ति प्राप्त करते हैं। अन्य किसी भी श्रेणी के कर्मचारी को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होगी।


क्या कहता है साल 1971 का सेवा नियम


वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि साल 1971 के सेवा नियमों के अनुसार, केवल वही सरकारी सेवक कहलाते हैं, जिनके वेतन का भुगतान राज्य की समेकित निधि से किया जाता है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी सार्वजनिक उपक्रम या स्वायत्तशासी निकाय में जाता है, तो उसे उस संस्था के नियमों और सेवा शर्तों का पालन करना होगा तथा वहां के कर्मचारियों की भांति वेतन मिलेगा।


अंतिम वेतन संरक्षण का लाभ नहीं


इस निर्णय के बाद अब सार्वजनिक उपक्रमों, स्थानीय निकायों और पंचायत राज संस्थाओं में कार्यरत वे कर्मचारी, जो राजकीय सेवा में सीधे भर्ती होते हैं, उन्हें अपने अंतिम वेतन संरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। यह नियम लागू होने से कई कर्मचारियों को आर्थिक स्तर पर समायोजन करना होगा। वहीं, वित्त विभाग का मानना है कि इससे सेवा नियमों में स्पष्टता आएगी और समानता बनी रहेगी।