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राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला, अब पुरानी आवासीय योजनाओं में होगा विकास, डवलपर्स को मिली सशर्त मोहलत

Rajasthan New Township Policy : राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला। पुरानी आवासीय योजनाओं के भूखंडधारियों को राहत मिली। इन योजनाओं में अब आंतरिक विकास कार्य होगा। डवलपर्स को सशर्त मोहलत मिली। जानिए नई टाउनशिप नीति के तहत क्या शर्त लगाई गई है।

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Rajasthan Government Big Decision Old housing projects will be developed developers granted a conditional prolongation

प्रतीकात्मक फोटो पत्रिका

Rajasthan New Township Policy : राजस्थान सरकार ने पुरानी आवासीय योजनाओं में आंतरिक विकास कार्य पूरे करने की समय सीमा को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। अब ऐसी योजनाओं में जहां डवलपर्स ने विकास कार्य तय समय में पूरे नहीं किए, वहां भी नई टाउनशिप नीति के तहत समय सीमा बढ़ा दी गई है। हालांकि, इसके लिए उन्हें पेनल्टी देनी होगी।

नई टाउनशिप नीति में यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी योजना में सड़क, नाली, बिजली जैसी आंतरिक सुविधाएं अधूरी हैं, तो डवलपर कुल भूमि प्रीमियम पर हर साल 10 प्रतिशत पेनल्टी और स्थानीय निकाय स्तर पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना देकर समय सीमा बढ़ा सकेंगे। पुरानी टाउनशिप नीति में दो वर्ष से अधिक समय बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं था। इस कारण कई पुरानी योजनाएं अटकी पड़ी थीं और भू-खंडधारकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही थी।

अधूरे विकास कार्य पूरे करने का रास्ता साफ

अब नई नीति में यह व्यवस्था की गई है कि आवश्यक कारणों पर दो वर्ष तक का अतिरिक्त विस्तार दिया जा सकेगा, बशर्ते निर्धारित पेनल्टी का भुगतान किया जाए। इस निर्णय से पुरानी आवासीय योजनाओं में अधूरे विकास कार्य पूरे करने का रास्ता साफ हो गया है। इससे लाखों भू-खंडधारकों को राहत मिलेगी और शहरों में अधूरे पड़े बुनियादी ढांचे के कार्यों को गति मिल सकेगी।

विकास शुल्क वसूला, लेकिन सुविधाएं जीरो

निजी खातेदारी की टाउनशिप योजनाओं (जिनमें आंतरिक विकास शुल्क वसूल किया गया है) में पॉलिसी के तहत जमा विकास शुल्क राशि तक ही विकास कार्य कराने का निर्णय किया गया। नगरीय विकास विभाग ने जनवरी, 2022 में यह पत्र जारी किया था।

हालात और हकीकत

निजी खातेदारी योजना के नियमन के समय भूखंडधारियों से निर्धारित विकास शुल्क लिया गया। तय हुआ कि संबंधित अथॉरिटी ही डवलपमेंट कराएगी। उस समय वहां आबादी नहीं बसी थी तो विकास कार्य नहीं कराए गए।

अब भूखंडधारी वहां बसना चाह रहे हैं, लेकिन सुविधाएं नहीं है। सरकार और अथॉरिटी तर्क दे रही है कि विकास कार्य की लागत तीन गुना बढ़ गई है। बाकी का पैसा कौन देगा।