
Representative picture (Patrika)
Free Medicine Scheme: राज्य के सरकारी अस्पतालों में राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (आरएमएससीएल) की ओर से दवाइयों की आधी-अधूरी आपूर्ति के कारण मरीजों को पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। पड़ताल में सामने आया कि कॉर्पोरेशन में दवाइयों और सूचर्स की खरीद प्रक्रिया कई महीनों से बेहद धीमी गति से चल रही है। जिसके कारण हृदय, न्यूरो, नेफ्रो, कैंसर जैसी बीमारियों के मरीजों को भी परेशान होना पड़ रहा है।
विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार इसी वर्ष अप्रेल माह के बाद नि:शुल्क दवा और जांच योजना को सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की सूची से शामिल नहीं है। कार्डियक, नेफ्रो सहित अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार में काम आने वाले सर्जिकल सूचर्स, ब्लड चढ़ाने के लिए सेट, ग्लब्स, यूरोलॉजी विभाग में काम आने वाले कैथेटर, आइवी सेट, इंसुलिन सीरिंज, कैनुला, नेजल ऑक्सीजन भी अस्पतालों में पर्याप्त नहीं है। सामने आया कि आरएमएससीएल अस्पतालों के लिए जरूरी सूचर्स भी नहीं खरीद पा रहा। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना 2011 में शुरू हुई थी। आरएमएससीएल दवाओं की खरीद और सप्लाई की नोडल एजेंसी है।
जिम्मेदार
पुखराज सेन, प्रबंध निदेशक, राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन
सूत्रों के मुताबिक राज्यभर के बड़े अस्पतालों में कई महत्वपूर्ण दवाइयां स्टॉक से बाहर हो चुकी हैं। जिन दवाओं की निविदाएं आमंत्रित की गई थीं, वे भी अटकी हुई हैं। हाल ही सूचर्स की खरीद की एक प्रक्रिया को निरस्त कर दुबारा किया जा रहा है। रोजाना औसतन 12-15 लाख मरीज इस योजना से लाभान्वित होते रहे हैं, लेकिन अब उन्हें इलाज अधूरा छोड़ने या महंगे दामों पर दवा खरीदने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है।
Published on:
20 Sept 2025 10:04 am
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