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जयपुर। राजस्थान में औद्योगिक-वाणिज्यिक उपयोग के लिए बोरवेल-ट्यूबवेल की खुदाई से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा। अनुमति नहीं लेने पर 50 हजार रुपए जुर्माना होगा और इसकी पुनरावृत्ति पर एक लाख रुपए तक जुर्माना और छह माह तक सजा हो सकेगी।
राज्य विधानसभा में बुधवार को पारित राजस्थान भू-जल (संरक्षण एवं प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक, 2024 में यह प्रावधान किया गया है। इसके लिए करीब दो दशक से प्रयास चल रहे थे। यह विधेयक दो बार प्रवर समिति को भेजा गया और उसके बाद तैयार विधेयक को बुधवार को मंजूरी दी गई है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू -जल मंत्री कन्हैया लाल ने बुधवार को राजस्थान भू-जल (संरक्षण और प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक, 2024 पारित करने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद विधेयक पारित कर दिया गया। उन्होंने विधेयक को लेकर आए कुछ सुझावों पर सहमति जताई, लेकिन कहा कि विधेयक तो आज ही पारित कराना है।
विधेयक पर चर्चा के जवाब में उन्होंने कहा कि जल हमारे जीवन का मूल आधार है, लेकिन राज्य जल संकट से जूझ रहा है इसलिए भू-जल का संरक्षण, संवर्धन व प्रबंधन अति आवश्यक है। हमारा नैतिक दायित्य है कि भू-जल बचाने के लिए सामूहिक रूप से आगे बढ़ें।
-राज्य प्राधिकरण का गठन होगा।
-अध्यक्ष वह होगा, जो जल संसाधन, प्रौद्योगिकी व इंजीनियरिंग के ज्ञान के साथ मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सचिव या मुख्य अभियंता रह चुका।
-दो विधायक व जल संसाधन प्रबंध का 20 वर्ष से अधिक अनुभव रखने वाले दो विशेषज्ञ भी सदस्य होंगे।
-सचिव इसमें सदस्य सचिव होगा।
-जल से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर सुझाव दे सकेगा।
-बोरवेल-ट्यूववेल की मंजूरी के एक सिस्टम-मैकेनिज्म तैयार होगा।
-आमजन को जागरूक करने और तथ्यों की जानकारी देने के लिए नियमित रिपोर्ट जारी होगी।
-भू-जल उपयोग और गुणवत्ता मापने, प्रवर्तन और निगरानी के सम्बंध में सरकार को सिफारिश करेगा।
-भू-जल दोहन दर का निर्धारण में सहयोग देगा।
-जिला भू-जल संरक्षण और प्रबंध समिति होगी।
-समिति भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन की योजनाएं तैयार करेंगी।
-स्थान विशेष के लिए भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर निर्णय होगा।
-प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट सदन में पेश होगी।
-बोरवेल-ट्यबवेल के लिए करना होगा आवेदन- औद्योगिक-वाणिज्यिक उपयोग के लिए भू-जल निकासी संरचनाओं की मंजूरी लेनी होगी।
-अनुमति के लिए प्राधिकरण को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा।
-आवेदन के साथ फीस जमा करानी होगी।
-घरेलू या कृषि उपयोग के लिए।
-लोकहित में भू-जल निकासी के लिए कोई मंजूरी नहीं।
-बिना अनुमति नई भू-जल निकासी संरचना के निर्माण के लिए ड्रिल/खुदाई, अतिदोहन आदि पर प्राधिकरण कार्रवाई कर सकेगा।
-दोषी होने पर पहली बार 50 हजार रुपए जुर्माना।
-अपराध दोहराने पर पांच गुणा तक जुर्माना।
-एक से अधिक बार अपराध होने पर 6 माह जेल और 1 लाख रुपए जुर्माना या दोनों।
-निर्देश या आदेश की पालना नहीं होने पर न्यायालय में केस चलेगा।
-राज्य भू-जल संरक्षण एवं प्रबंध योजना बनेगी।
-हर 3 वर्ष में योजना की समीक्षा ।
-भू-जल स्तर, गुणवत्ता, पुनर्भरण और उपयोग का क्षेत्रवार मूल्यांकन।
-भू-जल दोहन पर नियंत्रण व पंजीकरण।
-नए बोरवेल व संरचना बिना अनुमति अवैध।
-जल की गुणवत्ता और मात्रा मापने के उपकरण लगेंगे।
-वर्षा जल संचयन एवं पुनर्भरण को बढ़ावा।
-कंपनियों की भी जिम्मेदारी तय होगी।
-लेखा-परीक्षण महालेखाकार से अनिवार्य।
Published on:
11 Sept 2025 07:47 am
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