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Rajasthan: लग्जरी बसों में माल ढुलाई के कानून पर हावी अवैध ‘सिस्टम’, जीएसटी की खुलेआम चोरी

माल की ढुलाई पर नियंत्रण के लिए राजस्थान सरकार ने तीन साल पहले योजना बनाई, जिसे हाईकोर्ट ने वैध भी ठहरा दिया। इसके बावजूद सरकारी योजना के विपरीत बसों की छतों पर सामान का परिवहन हो रहा है, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ रही है।

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लग्जरी बसों में माल ढुलाई के नियमों की अनदेखी, पत्रिका फोटो

Passenger Safety Ignore in Luxury Buses: यात्रियों की सुरक्षा को दरकिनार कर बसों से हो रही माल की ढुलाई पर नियंत्रण के लिए राजस्थान सरकार ने तीन साल पहले योजना बनाई, जिसे हाईकोर्ट ने वैध भी ठहरा दिया। इसके बावजूद सरकारी योजना के विपरीत बसों की छतों पर सामान का परिवहन हो रहा है, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ रही है वहीं रोजाना सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

राजस्थान पत्रिका ने यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया, जिसमें सामने आया कि अवैध ’सिस्टम’, कानूनी कायदों पर हावी है। हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर 2023 को जयपुर परचून ट्रांसपोर्ट यूनियन की याचिका खारिज कर’’राजस्थान परिवहन माल सामान बसें योजना, 2022’’ को वैध ठहराया। साथ ही कहा था कि योजना और मोटर वाहन नियम 2021 में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। इन नियमों के अनुसार स्टेट कैरिज बस में बस के ’’पंजीकृत लदान वजन’’ का सिर्फ 10 फीसदी माल ही ले जाया जा सकता है। इसके अलावा सामान इस तरह से पैक होना चाहिए कि यात्रियों को असुविधा न हो और उनका रास्ता बंद न हो।

रोजाना जीएसटी का नुकसान

जीएसटी के तहत 50,000 रुपए से अधिक के माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है, लेकिन बसों के जरिए परिवहन के लिए नकद लेन-देन होने से ई-वे बिल जारी ही नहीं होता। इससे राज्य सरकार को जीएसटी का नुकसान हो रहा है।

कोई रेट लिस्ट नहीं

जयपुर ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश जैन ने कहा कि ’’बस से माल भेजने के लिए कोई रेट लिस्ट नहीं है। जितना मांग लिया, वही किराया। इन प्राइवेट बसों के कार्गो चार्ज, ट्रक से 1.5 गुना तक अधिक होते हैं। आरटीओ कमिश्नर और मंत्रियों को शिकायत करने पर भी कोई इन पर हाथ नहीं डालता। वहीं, परिवहन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त ओपी बुनकर ने कहा कि बस की छत पर सामान ले जाना प्रतिबंधित है।

ये रहता जोखिम

बस यात्री परिवहन के लिए डिजाइन की जाती है, लेकिन छत, गैलरी और डिग्गी में सामान होने से बस के असंतुलित होने का खतरा बना रहता है। ’ओवरलोड’ बस मोड़ पर या अचानक ब्रेक लगने पर पलट सकती है।

ऐसे फंसाते हैं…

ट्रक से माल भेजने में यदि 48 घंटे लगते हैं, तो बस ऑपरेटर 12 घंटे में डिलीवरी का वादा करते हैं। यह भरोसा दिलाकर न केवल मनमाना किराया वसूल किया जाता है, बल्कि यात्रियों की जान भी जोखिम में पड़ती है।