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राजस्थान में 7 महीने से विशेष योग्यजन आयुक्त का पद खाली, समाधान के लिए भटक रहे लाखों दिव्यांगजन, कई बार लिख चुके चिट्ठी

राजस्थान में विशेष योग्यजन आयुक्त का पद 7 महीने से खाली पड़ा है। 16 लाख दिव्यांगजन समाधान के लिए भटक रहे हैं। दिव्यांगजन अधिकार नियम 2018 के अनुसार, नियुक्ति 6 महीने पहले होनी चाहिए थी।

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जयपुर

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Arvind Rao

Sep 04, 2025

Rajasthan Jaipur post of Special Commissioner

विशेष योग्यजन आयुक्त दफ्तर (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: प्रदेश के सैकड़ों दिव्यांग पिछले सात महीने से अपनी समस्याओं की सुनवाई और उनके समाधान के लिए भटक रहे हैं। कारण विशेष योग्यजन आयुक्त का पद लंबे समय से खाली पड़ा है। पूर्व आयुक्त का कार्यकाल फरवरी 2025 में पूरा हो चुका है। लेकिन सात महीने बाद भी नए आयुक्त की नियुक्ति ठंडे बस्ते में है।


दरअसल, विशेष योग्यजन आयुक्त के पास प्रदेश भर से दिव्यांगजन अपने मामले लेकर पहुंचते हैं। वह विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को दिव्यांगों के अधिकारों और सुविधाओं को लेकर दिशा-निर्देश देता है। लेकिन आयुक्त के न होने से उक्त सभी काम प्रभावित हो रहे हैं।


क्या कहता है दिव्यांगजन अधिकार नियम


राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2018 के मुताबिक, राज्य आयुक्त का पद रिक्त होने से कम से कम छह महीने पूर्व नए आयुक्त की नियुक्ति की कार्रवाई शुरू हो जानी चाहिए थी।


कई बार सरकार को लिख चुके


मामले में विकलांग जन क्रांति सेना के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि प्रतिदिन समस्याओं से जूझ रहे दिव्यांगजन आयुक्तालय जाते तो हैं, लेकिन उनके मामले कागजों में ही दबकर रह जाते हैं।


नेत्रहीन सेवा संघ, अजमेर के सचिव जगदीश यादव ने बताया कि कई बार आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सरकार को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन नियुक्ति नहीं हुई। प्रदेश में करीब 16 लाख दिव्यांग हैं। मामले में विशेष योग्यजन निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि यह नियुक्ति सरकार के स्तर का मामला है।


दिव्यांगों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए आयुक्त का होना जरूरी है। मेरे कार्यकाल में प्रतिदिन 15 से 30 मामले सुनवाई के लिए आते थे। ऐसे में आयुक्त की नियुक्ति शीघ्र हो।
-एडवोकेट उमाशंकर शर्मा, पूर्व आयुक्त, विशेष योग्यजन, आयुक्तालय


मेरी बच्ची को परीक्षा में विशेष सुविधा देने संबंधी समस्या आ रही है। कई बार इस मामले को लेकर आयुक्तालय गई हूं। लेकिन आयुक्त के न होने से मामला कागजों में ही सिमटा हुआ है।
-नवनीता नहाटा, जगतपुरा