
Rajasthan - Generic Medicine Store
यदि आप कम कीमत की जेनेरिक दवा खरीदने के लिए जेनेरिक दवा स्टोर पर जा रहे हैं तो कीमत चुकाते समय सावधानी बरतें। आपने कैमिस्ट को विशेष तौर पर जेनेरिक दवा के लिए नहीं कहा तो यहां भी आपको ब्रांडेड दवा थमाकर 100 प्रतिशत कीमत वसूल की जा सकती है। इन दुकानों पर ऐसी दवाइयां भी जेनेरिक कीमत पर बेची जा रही है। जिन पर ब्रांडेड दवाओं जितनी प्रिंट रेट अंकित है। ऐसे में कैमिस्ट के पास उसी दवा के बदले ब्रांडेड कीमत वसूलने का भी पूरा मौका बना रहता है। गौरतलब है कि जेनेरिक दवाओं की कीमत ब्रांडेड दवा की तुलना में करीब 30 प्रतिशत तक कम होती है। प्रदेश के कई बड़े और छोटे शहरों में केन्द्र सरकार की ओर से जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र खोले गए हैं। जहां सिर्फ जेनेरिक दवाइयां ही बेची जाती हैं। वहीं, बड़े शहरों में कुछ निजी दुकानें भी जेनेरिक दवा स्टोर के रूप में संचालित हैं, जहां जेनेरिक के साथ ब्रांडेड कीमत की दवाइयां भी उपलब्ध रहती हैं।
इस तरह समझें -
ब्लडप्रेशर (बीपी) नियंत्रण के लिए ली जाने वाली दवा का 10 गोलियों का पत्ता करीब 80 रुपए में जेनेरिक के तौर पर मिल जाता है। लेकिन इसी दवा पर इसकी प्रिंट एमआरपी 204 रुपए अंकित होती है। यानि, मरीज ने जेनेरिक दवा के लिए कैमिस्ट को नहीं कहा तो उससे 204 रुपए भी वसूल किए जा सकते हैं। या इसी कीमत पर डिस्काउंट का प्रलोभन दिया जा सकता है।
यह भी पढ़ें - Good News : राजस्थान में टैक्सी बाइक चालकों के लिए खुशखबर, जानकर खुशी से झूमेंगे
इसलिए चल रहा यह खेल -
. आवश्यक दवा सूची में शामिल 870 दवाइयों में से 651 ही मूल्य नियंत्रण के दायरे में।
. 35 प्रतिशत दवाइयां मूल्य नियंत्रण के दायरे में नहीं।
. दवा कीमत नीति में राज्य सरकार की दखलंदाजी नहीं होने का फायदा दवा कंपनियां उठा रही।
. ब्रांडेड दवा कम्पनियां धड़ल्ले से एक ही दवा की अलग-अलग कीमतें वसूल रही।
. कई दवाइयों में तो हजारों रुपए तक का अंतर।
. दवा के दामों में भारी अंतर का कारण सभी आवश्यक दवाइयों पर दवा कीमत नीति लागू नहीं होना है।
समझना जरूरी - ईएनटी रोग निदान विशेषज्ञ डॉ शुभकाम आर्य के कहना है कि....
- जेनेरिक दवा जिस साल्ट से बनाई जाती है, उसे उसी साल्ट से जाना जाता है। ब्रांडेड दवा में भी वही साल्ट होता हैए लेकिन दवा निर्माता कंपनियां उन्हें अलग-अलग नाम से बाजार में लाती हैं।
- ब्रांडेड दवा निर्माता अपने ब्रांड की तमाम प्रमोशनल लागत और मुनाफा भी उसमें जोड़ते जाते हैंए जिससे वह दवा जेनेरिक की तुलना में कई गुना महंगी हो जाती है।
- निजी बाजार में ब्रांडेड दवाओं की कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
- सरकार ने जेनेरिक दवा लिखने पर ही जोर दियाए लेकिन दवा की वास्तविक या अधिकतम कीमतें आज भी कई जेनेरिक दवाओं के लिए तय नहीं है।
- प्रिंट रेट पर नियंत्रण नहीं होने से विक्रेता भारी डिस्काउंट का लालच भी मरीज को देते हैंए जबकि वास्तव में इतने डिस्काउंट के बाद भी वे कई गुना दाम वसूल रहे होते हैं।
राज्य के अधिकारी करते हैं किनारा
दवाओं की बिक्री के लिए राज्य में औषधि नियंत्रण संगठन कार्य करते हैं। राजस्थान में संगठन को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय से जोड़ा गया है। दवा पर प्रिंट रेट बेलगाम होने पर राज्य के अधिकारी यह कहकर किनारा कर लेते हैं कि केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन नेशनल प्राइज कंट्रोल अथॉरिटी दवाओं की कीमतें नियंत्रित करती हैं। अभी 651 दवाइयां कीमत नियंत्रण के दायरे में हैं। शेष दवाइयों पर निर्माता अपने हिसाब से कीमतें अंकित करते हैं।
यह भी पढ़ें - सोनिया गांधी की कुल संपत्ति का हुआ खुलासा, इटली में भी है प्रॉपर्टी
Updated on:
17 Feb 2024 08:19 am
Published on:
17 Feb 2024 08:18 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
